EXCLUSIVE: इंजेक्शन से नशा किया और डेढ सौ युवाओं को हो गया हेपेटाइटिस B,C
आईजीएमसी के गैसट्रोएंट्रोलोजी का बड़ा खुलासा, स्वास्थ्य विभाग को कसनी होगी कमर

अब इंजेक्शन से नशा करने वाले युवाओं में हेपेटाइटिस बी, सी हो रहा है। यह खुलासा आईजीएमसी के गैसट्रोएंट्रोलोजी विभाग के जारी आंकड़ों के मुताबिक़ हुआ है। विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर ब्रिज का कहना है कि अभी विभाग के तहत शिमला से ही लगभग डेढ़ सौ ऐसे युवाओं की ट्रीटमेंट चल रही है जिन्होंने इंजेक्शन से नशा तो लिया लेकिन उन्हें हेपेटाइटिस बी , सी हो गया है।

Dr Brij
गौर हो कि यह चिंता का विषय हिमाचल स्वास्थ्य के लिए बहुत ज्यादा दिखाई दे रहा है क्योंकि इंजेक्शन से नशा करने वाले नशेड़ीओं को अब नशे की लत ही नहीं बल्कि हेपेटाइटिस जैसे रोगों से बचाने के लिए भी एक विशेष अभियान चलाना होगा। आंकड़े इसलिए भी चौंकाने वाले सामने आ रहे हैं ।
क्योंकि जो उम्र विभाग के डॉक्टरों द्वारा बताई जा रही है ।वह महज 15 से 25 वर्ष के बीच में लगभग 80 फ़ीसदी से ज्यादा युवाओं की है जो उनकी पारिवारिक स्थिति को भी प्रभावित कर रहा है ।वहीं स्वास्थ्य क्षेत्र के कार्यक्रमों पर भी एक सवाल खड़ा करने लगा है कि आखिर काउंसलिंग और नशा निवारण के ढेरों कार्यक्रम होने के बावजूद भी हिमाचल में इंजेक्शन से नशा करने वाले और अन्य तरीकों से नशा लेने वाले युवाओं का ग्राफ कम क्यों नहीं हो रहा है ?
असर न्यूस से खास बातचीत करते हुए डॉक्टर बृज और उनकी टीम ने बताया कि इसे लेकर सभी को सतर्क रहना चाहिए। परिवार को भी अपने बच्चे पर नजर रखनी चाहिए और यदि वह इस लत की गिरफ्त में आ जाता है तो उसका इलाज आईजीएमसी में 100 फ़ीसदी संभव है ।उसका मनोबल भी पढ़ाना चाहिए यदि वह नशा छोड़ना चाहता है और इस कार्यक्रम में तेजी लाने के लिए परिवार के सभी सदस्यों का एकजुट होना भी आवश्यक है।
डॉक्टरों ने साफ किया है कि हेपेटाइटिस बी एक संक्रमित रोग है येे लीवर का इंफेक्शन है । इंजेक्शन से नशा करने के बाद उस इंजेक्शन का इस्तेमाल अन्य लोगों द्वारा किया जाता है। खासतौर पर नशेड़ी लोगों द्वारा यह प्रक्रिया अधिकतर अपनाई जाती है। लिहाजा यह आंकड़ा बहुत तेजी से बढ़ रहा है जिस पर सभी को सतर्क होना जरूरी है।



