हनुमान जी से सीखो क्या होते हैं सेवक
अश्वनी बेदी जी महाराज के सुने अनमोल वचन छोटे वचन


श्री राम शरणम् के सुंदरकांड के कार्यक्रम में अश्विनी बेदी जी महाराज ने अनमोल वचनों में कहा कि
सेवक चतुर पवन पुत्र हनुमान जी यह हमारा पूजन यह सुंदरकांड का पाठ आपकी चरण शरण में अर्पित है। आप इसे स्वीकार करें। हे प्रभु पाठ में जो भी कोई त्रुटि हुई है कोई अवज्ञा हुई है। शब्द कम अथवा अधिक बोला गया है आप देव अतिदेव से मैं क्षमा मांगता हूं आप क्षमा धनी है। आप भावना को देखते हैं। हे प्रभु हमारे इस पूजन को स्वीकार करें और आपसे याचना है कि आप अपने दर पर हमें बार-बार बुलाते रहे। हम बार-बार भाव चाव से उम्र कर आपके सामने नतमस्तक होते रहे हे प्रभु आप हम सब को आशीष दे आपके द्वारे हम बार-बार इस जन्म में क्या जो भी जन्म हो आपका द्वारा हमें सदा प्राप्त होता रहे। हे प्रभु आपको बार-बार नमस्कार हे। देवाधिदेव श्री राम यह सब मेरे गुरुदेव परम पूज्य श्री प्रेम जी महाराज परम पूज्य श्री स्वामी सत्यानंद जी महाराज यह इनकी हम सब पर कृपा है। इन्होंने सदमार्ग दे दिया। स्वाध्याय श्री रामायण जी का पाठ श्री सुंदरकांड का पाठ श्रीमद भगवत गीता का पाठ नित्य नियम से करना यह उसी का प्रताप है। आज पवनसुत हनुमान जी ने आज हम सब पर अनुकंपा कर कर हमें अपने चरणों में स्थान दिया। हे गुरुदेव यह मार्ग आपने भी दिखाया हम आपको और संघ नमन करते हैं। आप का धन्यवाद करते हैं कि आप ने हमें यह सत मार्ग दिखाया देवी देवताओं के साथ जोड़ दिया श्री राम के साथ जोड़ दिया। श्री राम कृपा हो गई तो समस्त देवी देवता हमें अपने चरण शरण प्रदान करते हैं। हे इष्ट देव हम आपको नमन करते हैं। परम पूज्य श्री स्वामी जी महाराज ने महा ऋषि वाल्मीकि महाराज के द्वारा रचित महरिशी बाल्मीकिय रामायण सार का वर्णन करते हुए पवन पुत्र हनुमान जी के गुणगान गाए हैं। कहा हनुमान जी राम भक्त हैं और सेवक चतुर सेवक हैं।



