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EXCLUSIVE: मैने नशा छोड़ना है पर डॉक्टर की लिखी दवा ही नहीं मिलती

मेंटल हॉस्पिटल की पर्ची बनाने के बाद दवा के लिए दर-दर भटकता रहा मरीज

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नशा निवारण को लेकर प्रदेश सरकार भले ही कई कार्यक्रम चला रही है लेकिन आधार स्तर पर इसकी असल तस्वीर कुछ और ही सामने आ रही है। शनिवार को हुए एक केस ने इस बाबत नशा निवारण की व्यवस्था की कमजोरी को उजागर किया।

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अर्की क्षेत्र से एक मरीज पहले मनोरोग अस्पताल बालूगंज गया जिसके बाद उसे वहां से जो दवाएं लिखी गई वह उसे ना तो अस्पताल में उपलब्ध हो पाई और ना ही साथ लगते किसी दवा विक्रेता के पास ही से मिल पाई। ऐसी ही परेशानी कई मरीजों के साथ हिमाचल में सामने आ रही है।

 

अब दवा विक्रेताओं का भी डरना लाजमी है कि उनकी उन्हें ड्रग इंस्पेक्टर के तहत दिए गए जारी निर्देशों में  पर्ची पर स्टैंप के साथ डॉक्टर के पूर्ण हस्ताक्षर और मोबाइल नंबर होना आवश्यक है ।

अब मेंटल हॉस्पिटल बालूगंज से ना तो पर्ची पर स्टैंप लगी थी और ना ही डॉक्टर का पूरा नाम लिखा गया था लिहाजा मरीज दिन भर अपनी दवा को लेने के लिए भटकता रहा और उसे कहीं भी सहारा नहीं मिल पाया। पर्ची पर स्टैंप और हस्ताक्षर और डॉक्टर के मोबाइल नंबर नहीं होने की परेशानी अक्सर अन्य अस्पतालों की पर्ची पर भी देखने में आ रही है।

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हालांकि दवा निरीक्षकों की टीम के तहत समय-समय पर नशीली दवाओं को लेकर छापेमारी की जाती रही है इसमें कई दवा विक्रेताओं को नोटिस भी जारी किया गया है अब भले ही कुछ दवा विक्रेता जो नियम के तहत इस दवाओं को देना भी चाहते हैं उनके लिए भी यह मुसीबत खड़ी हो गई है की पर्ची पर पूर्ण तौर पर जानकारी नहीं दी जा रही है।

ये उठा सवाल

सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिर अस्पताल में ही इन दवाओं को  मुहैया क्यों नहीं करवाया जा रहा। जब मरीज को दवा ही समय पर नहीं मिल पाएगी तो वह नशे से मुक्ति किस आधार पर करेगा। यदि नशा निवारण केंद्र और अस्पतालों में इन दवाओं को उपलब्ध करवा दिया जाता है और पुष्टि गत तौर पर मरीज को दवा दी जाती है तो निसंदेह मरीज जल्दी स्वस्थ हो सकता है और उस पर नजर भी रखी जा सकती है कि कहीं वह इन दवाओं का इस्तेमाल गलत तरीके से ना कर रहा हो।

 

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नशा छोड़ने वाली दवाओं को लेकर निसंदेह सख्ती होना लाजमी है लेकिन मरीज को ठीक करने के लिए यदि प्रदेश सरकार दवाओं के आवंटन को लेकर ही व्यवस्था में पारदर्शिता और सरलता नहीं ला पाएगी तो इससे मरीजों को भी काफी आफत खड़ी हो सकती है। कई केमिस्ट तो डर के कारण ही इन दवा को अब रखना बंद कर रहे हैं

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मरीजों की गुहार

 

डॉक्टर्स द्वारा लिखी गई दवाओं के नहीं मिलने को लेकर नशा छोड़ने वाले मरीजों ने प्रदेश सरकार के समक्ष यह गुहार लगाई है कि उन्हें दवाओं कि मिलने की सरलता पर उचित कदम उठाया जाए।

Deepika Sharma

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