विविध

रोष: विभिन्न सैंट्रल ट्रेड यूनियनों का आज हल्ला बोल

 

कान्फैडरेशन ऑफ सैन्ट्रल गर्वनमेंट एम्पलाईज एण्ड वर्करज नई दिल्ली तथा विभिन्न सैंट्रल ट्रेड यूनियनों द्वारा 28 व 29 मार्च को दो दिन के देश व्यापी हड़ताल के निर्णय को हिमाचल प्रदेश में भी सुचारू रूप से लागू करने के लिए हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय कर्मचारी एवं श्रमिक समन्वयन समिति ने आज कार्यालय महालेखाकार के प्रांगण में एक जनसभा का आयोजन किया जिसमें केन्द्रीय कर्मचारियों के कार्यालयों के विभिन्न संगठनों जैसे- कार्यालय महालेखाकार लेखा व लेखा परीक्षा, डाकविभाग, आयकर विभाग, केन्द्रीय लोक निर्माण, जनगणना, प्रिंटिंग व स्टेशनरी, श्रम ब्यूरो, आकाशवाणी व दूरदर्शन, भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, रेलवे, नैशनल सैम्पल सर्वे, बन सर्वेक्षण के लगभग दो सौ प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

इस विशाल जनसभा को सम्बोधित करते हुए समन्वय समिति के महासचिव साथी हर्रोश जुल्का ने विस्तार में बताया कि किन कारणों से विषम परिस्थितियों में केन्द्रीय कर्मचारियों को हड़ताल पर जाने के लिए बाध्य होना पड़ा है। उन्होंने कहा कि सन 1991 के नवउदारवाद की नीतियों का अनुसरण करते हुए समय-समय पर सत्तासीन भारत सरकारों ने केन्द्रीय कर्मचारियों के हितों की अनदेखी की जिसका समाज के अन्य सामान्य वर्गों पर भी प्रतिकूल असर पड़ा । एक सुनियोजित नीति के अनुसार कर्मचारियों की संख्या में कटौती, भर्ती पर प्रतिबन्ध, सरकारी कार्यालयों का निजिकरण व कॉरपोरेटाईजेशन, कार्यों की आऊटसोरसिंग, श्रम कानूनों में आवांछित बदलाव, वेलगाम मँहगाई, ब्याज दरों में कमी, सामाजिक सुरक्षा में पैंशन खत्म करना, देसी और विदेशी सरमायेदारों को प्राकृतिक संसाधनों को लूटने की छूट और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने जैसे नीतियों में कर्मचारियों समेत आम जनता पर विपरीत असर डाला जिससे कर्मचारियों की क्रय शक्ति कम हुई । फलस्वरूप अमीर ज्यादा अमीर और गरीब ज्यादा गरीब होकर यह खाई और निरन्तर बढ़ती गई। उन्होंने उदाहरण देकर कहा कि जहाँ 1991 में भारत में एक भी डालर अरबपति नहीं था यानि आज की रूपांतर दर के मुताबिक जिसके पास 700 करोड़ से अधिक रूपये हो उनकी संख्या 2021 में 140 हो गई है और दूसरी तरफ करोड़ों लोगों की नौकरी चली गई तथा बेरोजगारी पिछले 45 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। उन्होंने आगे कहा कि सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन नीति से हटाकर 2004 से नई पेंशन नीति में लाना न केवल कर्मचारी विरोधी अपितु देश विरोधी निर्णय था । इतिहास बताता है कि अंग्रेज सरकार ने भी 1857 के स्वतन्त्रता संग्राम के बाद भारतवर्ष में पैंशन देना शुरू किया था क्योंकि यह सुविधा ब्रिटेन में उसके सिपाहियों को पहले से थी। यही नहीं भारतवर्ष में चन्द्रगुप्त मौर्य के समय में भी राजकीय कार्य करने वालों को पेंशन प्रावधान था । सन 1871 में पैशन एक्ट लाकर भारतवर्ष में भी 1857 के पैशन सिस्टम को बदल कर कई विभागों को पैंशन दायरे में लाया गया और फिर वेतन में छोटी मोटी बढ़ौतरियों के साथ मंहगाई भत्ते की शुरूआत और सन 1881 में Royal Commission में Civil Establishment ने सरकारी कर्मचारियों को पैशन का प्रावधान (GOI Act, 1919& 1935 में इसे सभी सरकारी कर्मचारियों को लागू कर दिया ) जिसे हमारे अपने बनाए प्रतिनिधियों/सरकार ने छीन लिया। उन्होंने कहा अत: समय आ गया है कि सभी सरकारी कर्मचारी एकजुट होकर अपने हितो की लड़ाई लड़ें और अपनी मांगों की पूर्ति हेतु इस दिवसीय 28 व 29 मार्च की हड़ताल में बढ़-चढ़ कर हिस्सा

WhatsApp Image 2025-08-08 at 2.49.37 PM

लें। हिमाचल प्रदेश में नई पेंशन नीति को वापिस करवाने के लिए गठित राज्य स्तरीय संघर्ष समिति को महासचिव श्री हरीश जुल्का ने आश्वासन दिया की भविष्य में राज्य सरकार के कर्मचारी संगठनों के साथ मिलकर इस नई पैशन नीति का विरोध करने के लिए एक सांझा रणनीति
बनाई जायेगी तथा नई पैशन नीति का पूरजोर विरोध किया जायेगा। उन्होंने कहा कि वे इस लड़ाई को सभी कर्मचारी संगठनों के साथ मिलकर तब तक लड़ेंगे जब तक इस नीति को वापिस नहीं लिया जाता। उन्होंने प्रदेश सरकार को उनकी इस मांग के प्रति उदासीनता की भी निन्दा की और उन सरकारों को धन्यवाद किया जिन्होंने पुरानी पेंशन पुनः शुरू करने का निर्णय लिया । उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की कि ये नई पैशन नीति वापिस ले और इस मांग को लेकर संघर्षरत कर्मचारियों के विरुद्ध सभी प्रकार की अनुशासनिक कार्यवाही को विराम दें।

इस जनसभा समन्वयन समिति के महासचिव श्री हरीश जुल्का के साथ साथ श्री पुरूषोत्तम चौहान अध्यक्ष श्री बलबीर सूरी उपाध्यक्ष श्री विकास शर्मा महामन्त्री Sr.D.A.O/Assn, लेखा अधिरी संघ, श्री सुरेश चौहान महामंत्री सिविल आडिट, श्री धर्मपाल शर्मा महा सचिव सिविल अकाऊटस, श्री प्रेम पाल मैहत परिमण्डल सचिव, पोस्टमैन एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी संघ, श्री बलजीत सिंह परिमण्डल सचिव प्रशासनिक सेवाएं सी०पी०एम०जी आफिस, श्री विरेन्द्र शर्मा अखिल भारतीय अध्यक्ष ग्रामीण डाक सेवक संघ, श्री कामेश्वर, केन्द्रीय लोक निर्माण वर्करन संघ, श्री दीपक महामंत्री भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, श्री विकास मौर्य आयकर कर्मचारी संघ ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर श्री दुर्गेश नैय्यर प्रधान वरिष्ठ लेखा अधिकारी संघ व अमिताभ शर्मा अध्यक्ष वरिष्ठ लेखा परीक्षा अधिकारी संघ के साथ साथ श्रम ब्यूरो से विशाल बाजवान आकाशवाणी व दूरदर्शन से श्री सुशील जी, ई.पी.एफ0ओ0 से मनोहर लाल शर्मा तथा महिलाओं की विशेष भागीदारी के रूप में श्रीमती विजय लक्ष्मी, श्रीमती सुप्रिया पाण्डे, श्रीमती पुष्पा ठाकुर कार्यालय महालेखाकार तथा डाक विभाग व अन्य विभागों से भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया ।

सभी वक्ताओं ने एक जुट आवाज में यह आह्वान किया कि वे दो दिन की हड़वाल को सफल बनाने के साथ-साथ भविष्य में अपनी मांगों की पूर्ति हेतु बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते रहेंगे और सरकार को उनकी मांगें द्विपक्षीय वार्ता से पूरा करने के लिए बाध्य करेंगें। जिन प्रमुख मांगों को लेकर कर्मचारी संघर्ष पर है वे है:

1. नई पैशन नीति को वापिस लिया जाए। 2. जनवरी 2020 से जून 2021 तक के रोके गए मंहगाई भत्ते की अदायगी की जाए।

3. आठवें वेतन आयोग का शोध गठन किया जाए। 4. भविष्य में हर पांच साल बाद चेतन पुर्ननिधारण किया जाए ।

5. सभी ग्रामीण डाक सेवको को सरकारी कर्मचारी बनाया जाए । 6. सरकारी कार्यालयों का निजिकरण / कारपोरेटाईजेशन बन्द किया जाए ।

7. सरकारी कार्यरत सभी दैनिक वेतन भोगियों / आऊटसोरस तथा कान्ट्रेक्ट लेवर को

सरकारी कर्मचारी बनाया जाए ।

8. सभी कर्मचारियों को ग्रुप ‘ए’ अधिकारियों की तरफ सेवाकाल में पाँच पदोन्नितियां

दी जाए ।

9. भारत सरकार की सभी स्वायत इकाईयों में कार्यरत कर्मचारियों को बोनस की अदायगी की जाए ।

10. एम. ए.सी.पी. के लिए वैरीगुड बैच मार्क खत्म किया जाए ।

11. न्यूनतम वेतन 18000 से 24000 करने तथा फिटमैट फारमूले में संशोधन का आश्वासन जो केन्द्रीय मंत्री मण्डल के समूह ने दिनांक 03/06/2016 और 06/07/2016 को दिया था पूरा किया जाए ।

12. पैशन धारकों के लिए सातवें वेतन आयोग के सुझाव (ऑपशन-1 पैरिटि) को 1-1-2016 से पहले सेवानिवृत कर्मचारियों को लागू किया जाए ।

 

 

Deepika Sharma

Related Articles

Back to top button
Close