पर्यावरण

खास खबर: मनरेगा पर 30 प्रतिशत की कटौती, हिमाचल किसान सभा प्रदेश में बनाएगी ‘‘फसल आधारित संगठन’’

किसान सभा ने 80000 किसानों को सदस्य बनाने का लक्ष्य लिया -डॉ तंवर

No Slide Found In Slider.

 

 

 

No Slide Found In Slider.

राज्याध्यक्ष डॉ कुलदीप सिंह तंवर की अध्यक्षता में हिमाचल किसान सभा की राज्य कमेटी की विस्तारित बैठक शिमला में आयोजित की गई। बैठक में छः जिलों से 35 सदस्यो ंने हिस्सा लिया। बैठक में महत्वपूर्ण संगठनात्मक निर्णय लिये गए। 9-10 जुलाई को सोलन में हिमाचल किसान सभा अपना 16वां राज्य सम्मेलन आयोजित करेगी जिसमें प्रदेशभर से लगभग 300 प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। इसके साथ ही अप्रैल माह में सदस्यता करते हुए प्राथमिक इकाई एवं पंचायत कमेटियों के सम्मेलन, 20 मई तक खण्ड कमेटियों के तथा 15 जून तक जिला सम्मेलन किए जाएंगे। किसान सभा ने इस वर्ष प्रदेश में 80000 किसानों को सदस्य बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इन सम्मेलनों को सफल बनाने के लिए मार्च माह में जिलों में बैठकें की जाएंगी तथा स्थानीय मुददों पर किसानों को संगठित कते हुए संघर्ष किऐ जाएंगे। प्रदेश में मुयख्तः से पंाच मुददों (जमीन, अनाज, सेब, दूध तथा टमाटर एवं अन्य सब्जियों) पर ‘‘फसल आधारित संगठन’’ बनाए जाएंगे जिन्हें हिमाचल किसान सभा के साथ सम्बद्ध किया जाएगा। दूध के मुददे पर शुरूआत करते हुए ‘दुग्ध उत्पादक संघ’ का गठन किया गया है जिसके तहत चार जिलों के सात खण्डों में सदस्यता अभियान शुरू किया जा चुका है।

इसके साथ ही निर्णय लिया गया कि 28-29 मार्च को एक दर्जन से अधिक ट्रेड युनियन संगठनों की देशव्यापी आम हड़ताल में किसान-मजदूर एकता को मजबूत करते हुए हिमाचल किसान सभा भी इसमें हिस्स्ेदारी करेगी। केन्द्र सरकार की मजदूर किसान विरोधी नीतियों को विरोध किया जाएगा तथा प्रदेश, जिला एवं खण्ड स्तर पर प्रदर्शन करते हुए आम हड़ताल को कामयाब बनाया जाएगा। इस सम्बंध में राज्य महासचिव डॉ ओंकार शाद ने राजनीतिक परिस्थिति पर चर्चा करतते हुए बताया कि एक तो कोविड महामारी ने आम जनता का जीवन कष्टभरा बना दिया है, ऊपर से सत्तासीन केन्द्र एवं राज्य की सरकारों ने श्रम कानूनों में मजदूरों के खिलाफ बदलाव लाते हुए तथा किसानों की अनदेखी करके समाज के एक बड़े तथा क्रियाशील हिस्से को बदहाली के रास्ते पर खड़ा कर दिया है। जिसके पास संघर्ष के इलावा और कोई विकल्प नहीं रह गया है। डॉ शाद ने कहा कि सरकार कोविड महामारी का ठीक से प्रबंध नहीं कर पाई जिसके चलते स्वास्थ्य संस्थाओं को सुधार के बजाय बदतर किया गया है। अर्थव्यवस्था अभी तीन वर्ष पहले के मुकाबले में भी नहीं पहूंच पाई है। आज हमारा देश बेरोजगारी, भूखमरी, बीमारियों, कुपोषण, असमानता में दुनिया के शीर्ष स्तर पर है।

No Slide Found In Slider.

राज्याध्यक्ष डॉ तंवर ने केन्द्रीय बजट को किसान विरोधी बताया तथा बजट में बढ़ोतरी करने के बजाय कटौती को जनविरोधी करार दिया। डॉ तंवर ने बताया कि केन्द्रीय बजट को पिछले वर्ष 4.74 लाख करेाड़ के मुकाबले इस वर्ष 3.70 लाख करोड़ रुपये किया गया है। इसके साथ ही विभिन्न मदों में भारी कटौती की गई है जैसे मनरेगा पर 30 प्रतिशत से अधिक कमी गई है। जन एवं कल्याणकारी सेवाओं जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, सार्वजनिक वितरण प्रणाली आदि के बजट में कमी की गई है। सरकार के किसानों की आय को दुगनी करने के झूठे दावे को पुख्ता करने वाले कृषि क्षेत्र के बजट में भी कमी की गई है। तीन कृषि कानूनों को जिन शर्तों के साथ वापस लिया गया था, आज उनमें से किसी भी वादे को पूरा करने के लिए सरकार ने कोई भी कदम अभी तक नहीं उठाया है।

बैठक में किसान सभा के पूर्व महासचिव एवं विधायक राकेश सिंघा ने प्रदेश सरकार को कर्मचारियों, नौजवानों, किसानों, महिलाओं, दलितों का विरोधी बताते हुए कहा कि केवल कोरे सपने दिखाने के इलावा सरकार के पास ज्यादा कुछ नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में नए रोजगार पैदा न होने से सार्वजनिक सेवाओं के हालात दिन ब दिन बदतर होते जा रहे हैं। कृषि, बागवानी एवं पशुपालन के क्षेत्र में सरकारी निवेश तो दूर की बात परन्तु छोटी-मोटी रियायतों को भी खत्म किया गया है।

बैठक में सत्यवान पुण्डीर, देवकीनंद, होतम सोंखला, सतपाल, डॉ दत्तल, प्यारे लाल वर्मा, प्रो. राजेंन्द्र चौहान, सतपाल मान, नरेन्द्र, गीता राम, दिनेश मेहता, प्रेम चौहान आदि सदस्यों ने चर्चा में भाग लिया।

 

 

Deepika Sharma

Related Articles

Back to top button
Close