सम्पादकीय
असर संपादकीय: परिवार बरगद के पेड़ की तरह होता है, लेकिन स्त्री उसमें शाखाएं भरने का काम करती है
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर प्रेम सागर की कलम से


प्रेम सागर
Sub inspector ITBP
परिवार बरगद के पेड़ की तरह होता है,
लेकिन स्त्री उसमें शाखाएं भरने का काम करती है
स्त्री किताब की तरह होती है
कोई गम ए नजर से , तो कोई तुच्छ भावना से
हर पन्ना पढ़ना चाहता है
मगर जिसके दिल में स्त्री के लिए इज्जत है ,
प्यार है, वो बंद किताब की तरह , सब पढ़ लेता है
स्त्री प्रकृति का वह रूप है,
जो जन्म दात्री है , ऊर्जा और प्रेरणा का स्त्रोत है
स्त्री प्रेम की धारा है, शीतल नदिया की तरह,
बहना भी जानती है, सहना भी जानती है
और कहना भी जानती है
प्रचंड रूप से तार भी जाती है और
ले भी डूबती है
त्याग और बलिदान का
जिंदा..जागता सबूत भी है स्त्री
अगर घर को संवारना है तो
एक अकेली स्त्री ही काफी है
घर को स्वर्ग बनाने के लिए
जय हिंद।। महिला दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं प्रेम सागर ।।



