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ये कैसा बजट? शिक्षा के बजट में कर दी कटौती

 

एस एफ आई राज्य कमेटी ने  प्रदेश सरकार द्वारा घोषित एक वर्ष के वित्तीय बजट पर प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से अपनी तीखी प्रतिक्रिया दर्ज की। एस एफ आई का मानना है कि यह बजट असंतोषजनक व शिक्षा विरोधी है ।

*शिक्षा के बजट में कटौती*

जहां शिक्षा को लेकर गठित कोठारी आयोग व अन्य विभिन्न आयोगों की सिफारिशों के मुताबिक शिक्षा पर राज्य बजट का 30% खर्च होना चाहिए था। जो कि पिछले बार के बजट में कुल बजट का 16.8% था इस बार 2022 -23 के बजट में शिक्षा के बजट में कटौती करते हुए मात्र 16% अनुमानित बजट का प्रावधान किया है ।जिससे साफ झलकता है कि शिक्षा को लेकर राज्य की सरकार बिलकुल भी चिन्तित नहीं है । वहीं दूसरी तरफ विश्वविद्यालय ने अपने वितीय संचालन हेतु राज्य सरकार से 189 करोड़ की मांग की थी लेकिन विश्वविद्यालय के लिए भी मात्र 147 करोड़ का प्रावधान ही किया गया है। बजट में इस कटौती का असर आने वाले समय मे छात्र समुदाय पर बढ़ता जाएगा। मौजूदा समय मे प्रदेश के सरकारी महाविद्यालयों में करोड़ो रुपया PTA फीस के नाम पर छात्रों से वसूला जा रहा है। सरकार इस आर्थिक संकट की स्थिति में जनता को राहत देने की बजाय इस बजट से यह संकेत दे रही है कि आने वाले वक्त वर्ष में कोविड दौर में खाली हुए सरकारी खजाने को सैफ आम जनता से पूरा किया जाएगा। इसीलिए सरकारी खर्च को कम करते हुए जनता से संसाधन बटोरने का बजट त्यार किया गया है। जिसे किसी भी हालत में स्वीकार नही कोय जाएगा।

 

*बजट कटौती का असर*

पूरे प्रदेश का छात्र समुदाय जनता है कि विश्वविद्यालय में स्टाफ की कमी होने की वज़ह से छात्रों के परीक्षा परिणाम समय से घोषित नहीं हो पा रहे है वहीं ERP व्यवस्था की वजह से छात्रों के परिणाम भी बदल रहे है जो छात्र पहले पास थे एक माह के बाद उसी विषय मे उनका परिणाम फेल दिखाया जाया रहा है यह इसी वजह से हो रहा है कि स्टाफ की कमी और इस सिस्टम मे त्रुटियां बहुत अधिक है जिसे दुरुस्त करने की आवश्यकता है। लेकिन आर्थिक संसाधनों की कमी का रोना रो रहा विश्वविद्यालय प्रशासन इस बार फिर से होस्टलबंद होने पर भी छात्रों से जबरन होस्टल फीस फीस वसूल कर अपने घाटे को पूरा करने में लगा है।

*छात्रवृत्ति के नाम पर ठगी*

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यह सरकार पिछले 3 सालों से लंबित विभिन्न तरह की छात्रवृतियों को बहाल नही कर पाई है यह सरकार पुरानी योजनाओं को नया नाम देकर छात्रों से ठगी करना चाहती है जबकि सच्चाई सबके सामने है कि यह सरकार पिछले 4 सालों से छात्रों की छात्रवृति बहाल नही कर पाई है अभी तक छात्र अपनी स्कॉलरशिप के लिए दर बदर भटक रहे है । कुछ नई मेधावी छात्र सम्मान योजनाएं शुरू की गई है जो की सराहनीय कार्य है लेकिन वह अगर कागजो तक सिमट जाएगी तो यह भी एक चुनावी जुमला ही सिद्ध होगी। क्योंकि पिछले 2 सालों से हिमाचल प्रदेश सरकार पहले से चली आ रही मेधावी छात्र सम्मान योजना के माध्यम से मिलने वाले लैपटॉप्स व सम्मान राशि अभी तक छात्रों को नही दे पाई है। पिछले 2 वर्षो में माहमारी के चलते सबसे ज्यादा आर्थिक नुकसान भी छात्रों व उनके अभिभावकों को झेलना पड़ा है। जिसके लिए SFI राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार से हरेक गरीब परिवार को 7500 प्रतिमाह आर्थिक सहयोग देने की मांग की थी। लेकिन आर्थिक तंगी का राग अलापती सरकार ने उसे इस बार के बजट में शामिल नही किया जबकि विधायकों व मंत्रियों का लम्बित वेतन तुरन्त जारी करने के आदेश दिए है । यह सरकार की प्राथमिकता को दर्शाता है।

 

इसके साथ साथ स्वर्ण जयंती उत्कृष्ट विद्यालय व महाविद्यालय के नाम से जिस योजना में 100 स्कूलों 9 महाविद्यालयों को उत्कृष्ट बनाने का सपना दिखाया गया है वह महज काल्पनिक औऱ लोगो को गुमराह करने की योजना है । पहले सरकार पिछले साल के बजट में निर्धारित 100 स्कूलों व 9 महाविद्यालय के नाम बताए जिन्हें सुधारने व उत्कृष्ट बनाने का प्रयास किया गया बल्कि इसके विपरीत पिछले 3 सालों में लगातार प्रदेश में शिक्षा के स्तर में भयंकर गिरावट देखी गई है।

 

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का गला घोंटने की कोशिश की जा रही है। माहमारी के चलते ऑनलाइन शिक्षा एक मजबूरी थी,यह सरकार उसे प्रथा बनाने पर तुली है। ऑनलाइन शिक्षा को हिमाचल जैसे भौगोलिक दृष्टि से भिन्न राज्य में स्कूली स्तर पर जारी रखने का प्रयास सरकार की मूर्खता को दर्शाता है। यह सरकार मानसिक रूप से दिवालिया हो चुकी है जिसे छात्रों की पढ़ाई व उसके भविष्य से कोई सरोकार नही है। प्रदेश में विभिन्न शोध के माध्यम से आज यह सच्चाई हमारे सामने,है कि डेटा,नेटवर्क व स्मार्टफोन के न होने से हजारों छात्र पिछले 2 वर्षों में अपनी पढ़ाई छोड़ने पर मजबूर हुए है। लेकिन सरकार को कोई चिंता नही है।

निजी शिक्षण संस्थानों की खुली लूट को रोकने के लिए कोई कारगर योजना नही बनाई गई है बल्कि निजी शिक्षण संस्थानों को बढ़ावा देने के लिए सहयोग व समझौता परस्त यह बजट है जिसका SFI विरोध करती है। मुख्यमंत्री चुनावी साल में अपने आखिरी बजट से जनता को लुभाने में नाकाम रहे है।

 

 

 

 

Deepika Sharma

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