विविध

ऐतिहासिक धरोहर टाऊन हाल को निजी हाथों में देने का कड़ा विरोध

कम्युनिस्ट पार्टी ने जताई आपत्ति

 

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) की जिला कमेटी भाजपा की निजीकरण की नीतियों तथा नगर निगम शिमला द्वारा ऐतिहासिक धरोहर टाऊन हाल को निजी हाथों में देने का कड़ा विरोध करती है। पार्टी मांग करती है कि नगर निगम तुरन्त अपने इस जनविरोधी निर्णय को बदले तथा इसे जिस रूप में यह पहले निगम के सदन के बैठक कक्ष के रूप में उपयोग में लाया जा रहा था इसे उसी रूप में जनहित में उपयोग में लाया जाए। यदि नगर निगम व सरकार इसको निजी हाथों में देने के निर्णय को नहीं पलटती तो सीपीएम इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने के लिए शहर की जनता को लामबंद कर आंदोलन करेगी।

             टाऊन हाल सदा से ही नगर निगम के सदन का बैठक कक्ष रहा है। पूर्व नगर निगम ने इसके जीर्णोद्धार के लिए जो नक़्शे व प्रस्ताव पारित किया था वह नगर निगम के द्वारा जनहित में उपयोग में लाने के अनुरुप ही पारित किए गए थे। इसमे निचली मंजिल में निगम सदन का बैठक कक्ष, पार्षदों को जनता से मिलने के लिए कक्ष, जनता के लिए सेवा क्षेत्र व सहायक आयुक्त के कार्यालय को स्थान तय किया गया था। इसके अतिरिक्त ऊपरी मंजिल में महापौर, उपमहापौर, आयुक्त तथा एक समिति कक्ष व जनता को बैठने के लिए स्थान तय किया गया था तथा तीसरी मंजिल पर कार्यालय जिसमें वित्त व अन्य कुछ आवश्यक विभाग को स्थान तय किया गया था। परन्तु भाजपा के नगर निगम में सत्तासीन होने के पश्चात इसके निजीकरण का प्रस्ताव सदन में पारित कर उच्च न्यायालय में शपथ पत्र दिया गया और अब इसे निजी हाथों में देने का कार्य कर रही है। जोकि शिमला शहर की जनता के साथ एक बड़ा धोखा है। क्योंकि एक तो दुनिया में टाऊन हाल सदैव ही शहरी सरकार या नगर निगम का कार्यक्षेत्र में ही रहता है जहां से शहरवासियों के लिए उनकी चुनी हुई सरकार कार्य करती है। दूसरा नगर निगम शिमला का टाऊन हाल एक ऐतिहासिक धरोहर है और इसे निजी हाथों में देना इसकी मर्यादा के भी विरुद्ध है।

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          वर्ष 2017 जबसे नगर निगम में भाजपा सत्तासीन हुई है न तो यह शहर के लिए कोई नई परियोजना ला पाई है और न ही सीपीएम के नेतृत्व में पूर्व नगर निगम द्वारा चलाई जा रही परियोजनाओं को सही रूप में कार्यान्वयन व संचालन कर पाई है। इसके विपरीत जितने भी नगर निगम के संसाधनों से जो नगर निगम की आय हो सकती थी उसे भी नहीं कर पाई है। पूर्व नगर निगम द्वारा निर्मित टका बेंच पर बुक कैफ़े जिससे लाखों रुपए की आय निगम को होती थी उसको वर्तमान नगर निगम ने निजी हाथों में दिया गया अब लगभग 2 वर्षों से बन्द पड़ा है, टूटीकंडी में बने बहुउद्देश्यीय भवन व पार्किंग जिससे वार्षिक करीब 20 करोड़ रुपए की आय हो सकती है वह भी करीब 2 वर्षों से बेकार पड़ा है। इसके अतिरिक्त नगर निगम की कई पार्किंग व अन्य संपत्तियां भी सही रूप से उपयोग में नहीं ला पाई है जिससे नगर निगम को करोड़ों रुपए की हानि हो रही है। यदि वर्ष 2017 की तुलना में वर्ष 2022 में नगर निगम की आय देखे तो इसमें करीब 40 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। इससे भाजपा शासित नगर निगम की लचर कार्यप्रणाली उजागर होती है। सीपीएम भाजपा की इन जनविरोधी नीतियों के विरुद्ध आगामी नगर निगम चुनाव में जनहित की वैकल्पिक नीतियों को लेकर जनता को एक सशक्त विकल्प देगी।

 

Deepika Sharma

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