
हिमालय साहित्य संस्कृति और पर्यावरण मंच शिमला के अध्यक्ष एसआर हरनौट ने खुले पत्र में ये लिखा है कि……
आप जानते हैं पिछले दो वर्ष कोरोना आतंक के रहे हैं। इस विकट समय में हमने बहुत कुछ खोया और कुछ पाया भी है। सीखा भी है। पढ़ा और लिखा भी है। हम चाहते हैं उन खट्टे मीठे अनुभवों को हम आपस में साझा करें कि आपने वह समय कैसे व्यतीत किया है। क्या लिखा और पढ़ा है। हिमालय साहित्य मंच शीघ्र ही इस पर एक गोष्ठी आयोजित कर रहा है। आपकी भागीदारी का स्वागत है। यह गोष्ठी पूर्व की तरह किसी अवकाश वाले दिन गेयटी सभागार में होगी। आप व्हाट्सएप या मैसेज पर भी संपर्क कर सकते हैं।
हिमालय मंच के पूर्वनिर्धारित कार्यक्रम यथावत रहेंगे जिनमें पांच से पंद्रह वर्ष के बच्चों के लिए और युवा रचनाकारों के लिए शामिल हैं।
हम मार्च से लेखकों की पुस्तकों पर भी नियमित चर्चाएं आयोजित कर रहे हैं और कुछ लोकार्पण भी। ये आयोजन आप सभी की भागीदारी से ही सफल होंगे। अप्रैल या मई में हम कहानी, कविता और उपन्यास पर एक राष्ट्रीय गोष्ठी की योजना बना रहे हैं।
आपसे एक अपील भी
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आप जानते हैं हिमालय मंच पिछले कई सालों से साहित्य, संस्कृति और पर्यावरण के क्षेत्र में कार्य कर रहा है। “साहित्य आमजन के बीच” हमारा एक जरूरी स्लोगन है जिसके अंतर्गत हम ग्रामीण संस्थाओं, स्कूलों, कालेजों में साहित्यिक आयोजन करते हैं। भलकू स्मृति कालका शिमला रेल साहित्य और पर्यावरण यात्रा, निर्मल वर्मा स्मृति यात्रा के साथ हमारे कई अन्य अनूठे आयोजन हैं जिन सभी में आप सभी की भागीदारी हमें उत्साहित करेगी।
हिमालय मंच इन आयोजनों को किसी सरकारी या निजी सेक्टर के अनुदान से नहीं बल्कि आपसी सहयोग से करता रहा है। और मेरा मानना है कि हम केवल सरकारी अनुदानों या निमंत्रण पर ही आश्रित न रह कर अपने साधनों से साहित्य संस्कृति की सेवा करें, प्रचार प्रसार करें, बच्चों और युवाओं को जोड़ें, वरिष्ठ नागरिकों को जोड़े, ग्रामीणों को जोड़े, तभी हमारा लिखना या लेखक होना सार्थक हो सकेगा।
आदरणीय राकेश कंवर जी ने जब से सचिव का कार्यभार संभाला है, साहित्य और संस्कृति के साथ रंगमंच आदि के लिए बहुत संभावनाएं बनी है। उन्होंने गेयटी सभागार निशुल्क कर दिया है, गेयटी जैसी प्राइम लोकेशन में हिमाचल के लेखकों की पुस्तकों के लिए शिमला किताबघार खोल दिया है। बहुत सी योजनाओं पर काम चल रहा है जिसके लिए हम उनके साथ, निदेशक भाषा विभाग, सचिव अकादमी और विशेष रूप से प्रदेश सरकार के आभारी हैं। इसलिए हमारा उत्तरदायित्व और बढ़ जाता है कि हम मिलजुल कर, सकारात्मक सोच के साथ इन योजनाओं का सम्मान करें और सहयोग दें। कितना अच्छा हो कि साहित्य और संस्कृति, रंगमंच, लोक संगीत के क्षेत्र में कार्य कर रही संस्थाएं बिना सरकारी सहयोग से अपने साधनों से कोई बड़ा साहित्य उत्सव करने की पहल करें। हिमालय मंच ऐसी संस्थाओं को आगे आने का आह्वान भी करती है और आमंत्रण भी देती है। इससे हमारा आपसी प्यार भी बढ़ेगा और लिखने पढ़ने काम करने का उद्देश्य भी पूरा होगा। हम अपने वर्ष भर के कार्यक्रमों की विधिवत घोषणा मार्च में कर रहे हैं जिनमें आपकी भागीदारी की सकारात्मक अपेक्षाएं रहेगी।



