स्कूल ग्रांट कमीशन का गठन करे सरकार

ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ टीचर ऑर्गेनाइजेशन ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की (यूजीसी) के आधार पर स्कूल ग्रांट कमीशन का गठन करने की केंद्र सरकार से मांग की है। आज जारी एक प्रेस प्रेस बयान में ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ़ टीचर ऑर्गेनाइजेशन के राष्ट्रिय अध्यक्ष डॉ अश्वनी कुमार , सेक्ट्री जनरल सी.एल.रोज पैटर्न डी.वी.पंडित, रमेश जोशी रमेश भाई पटेल जनार्धन रैंडी पंकज भाई पटेल, एस .एल .सोमानी ,कार्यकारी अध्यक्ष हितेष भाई पटेल , सलाऊद्दीन ,रश्मि सिंह , वित्त सचिव रणजीत सिंह राजपुत्त , राष्ट्रिय प्रेस सचिव प्रेम शर्मा , सतपाल भूरा, एन जी रेडडी, श्रीपाल रेडडी,सालिगराम प्रजापति ,श्रीमती शिल्पा नायक चेयरपर्सन महिला विग ,उप सचिव सोनल पटेल , डॉ निशा शर्मा, यश पाल शर्मा , रजनीश राणा, रंजीत सिंह ने बताया कि भारत प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक, उच्च शिक्षा के इतिहास में सदैव महत्वपूर्ण स्थान रहा है। प्राचीन काल में नालंदा, तक्षशिला एवं विक्रमशिला विश्वविद्यालय, उच्च प्रशिक्षण के सुप्रसिद्ध पीठ थे जिनमें न केवल हमारे ही देश के छात्र आकर्षित होते थे, बल्कि सुदूरवर्ती देशों, जैसे- कोरिया, चीन, बर्मा (म्यांमार), सीलोन (श्रीलंका), तिब्बत एवं नेपाल आदि के छात्र भी आकर्षित होते थे। आज भारतवर्ष, विश्व के उच्चतम स्तर पर शिक्षा प्रणाली का प्रबंधन करता है। इस दिशा में विश्व विद्यालय अनुदान आयोग का महत्वपूर्ण योगदान रहा है विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का गठन 1953 में किया गया था विश्वविद्यालयों के स्तर एवं गुणवत्ता में सुधार करने एवं समस्त विश्वविद्यालयों में एकरूपता इसके प्रमुख कार्य है !
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), देश में अनुदान प्रदान करने वाला एकमात्र ऐसा अनूठा अभिकरण है जिसके अंतर्गत दो उत्तरदायित्व निहित है, पहला है निधि उपलब्ध कराना तथा दूसरा है उच्च शिक्षण संस्थानों में परस्पर समन्वयन, निर्धारण तथा मानकों का अनुरक्षण करना !ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ टीचर ऑर्गेनाइजेशन ने यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन की तर्ज पर स्कूल अनुदान आयोग (स्कूल ग्रान्ट कमीशन) के गठन की केंद्र सरकार से मांग की है! संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अश्वनी कुमार ने बताया कि बताया कि स्कूल ग्रांट कमीशन के गठन से पूरे देश में एक ही पाठ्यक्रम लागू हो जाएगा स्कूल ग्रांट कमीशन के तहत पूरे देश में शिक्षकों की सेवा शर्ते, प्रशिक्षण, पाठयक्रम विश्वविद्यालयो की तरह एक सा हो जायेगा ! जिससे प्रतिस्पर्धा की भावना पैदा होगी विद्यार्थियों में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी क्योंकि एक ही पाठ्यक्रम के तहत वह पढ़ाई करेंगे जिससे कि पूरे देश में विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं में एक जैसी योग्यता एक जैसा अनुभव रखने वाले विद्यार्थी प्रतियोगिता परीक्षाओं में भाग लेंगे। दूसरा एक ही पाठ्यक्रम के लागू होने से देश भर में समान पाठयक्रम लागू होने से प्रवासी लोगों, सैनिकों के बच्चों को किसी भी स्थान पर जाने से एक सी शिक्षा प्राप्त होंगी ! संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि भारत के स्वतंत्र होने के बाद से ही भारतीय शिक्षा प्रणाली में सुधार हेतु विभिन्न आयोगों का निर्माण किया गया। जिनमे एक कोठारी आयोग भी था जिसका निर्माण भारतीय शिक्षा की गुणवत्ता को उच्च बनाने के लिए किया गया। इस आयोग ने देश में समान पाठयक्रम लागु करने की सिफारिश की थी !फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अश्वनी कुमार ने बताया कि शिक्षा की बुनियादी जरूरत यह है कि हर छात्र को एक जैसे अवसर और चुनौतियां मिलें। एकीकृत पाठय़क्रम इस दिशा में एक कदम हो सकता है, इसकी वजह से अलग-अलग राज्यों के छात्रों को एक जैसी पढ़ाई मिलने की गुंजाइश होगी और प्रतियोगी परीक्षाओं में सबको एक जैसी चुनौती मिलेगी।किसी भी देश की प्रगति के आधारभूत कारकों में शिक्षा एक प्रमुख कारक है। शिक्षा के मामले में बड़ी लकीर खींच कर वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बढ़त ली जा सकती है, लेकिन यह काफी हद तक इस बात पर भी निर्भर करता है कि आपके पाठ्यक्रम की दशा और दिशा उचित हो। इस संदर्भ में भारत की बात करें तो हाल ही में शिक्षा मंत्रलय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति ने संसद में अपनी एक रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए कुछ सुझाव दिए हैं। समिति ने सीबीएसई, आइसीएसई तथा विभिन्न राज्यों के शिक्षा बोर्डो के विद्यालयों में एक समान पाठ्यक्रम लागू करने का सुझाव दिया है!समिति का मत है कि इससे विद्यालयी शिक्षा में एकरूपता आएगी तथा पूरे देश की शिक्षा का एक मानक तय हो सकेगा। सकेगा। ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ़ टीचर ऑर्गेनाइजेशन के राष्ट्रिय अध्यक्ष डॉ अश्वनी कुमार ने कहा कि बीते वर्ष लगभग साढ़े तीन दशक बाद देश को नई शिक्षा नीति मिली है, जिसके माध्यम से भारतीय शिक्षा व्यवस्था में सुधार के कई मार्ग खुलते दिखाई दे रहे हैं, इसलिए ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ़ टीचर ऑर्गेनाइजेशन केन्द्रीय सरकार से माँग कि है कि यह सही समय है कि संसदीय समिति के उक्त सुझाव पर गौर करते हुए ‘एक देश एक पाठ्यक्रम’ की व्यवस्था को अपनाने पर विचार किया जाए।



