EXCLUSIVE : हिमाचल में ही कम हो रहे है “हिमाचली”
राज्य का गिर रहा है टीएफ़आर रेट, हिमाचल स्वास्थ्य क्षेत्र ने जताई चिंता,मामले पर विचार विमर्श शुरू

जनसंख्या संतुलन के लिए जन्म दर और मृत्य दर में संतुलन होना ज़रूरी
हिमाचल में हिमाचलियों की संख्या ही कम हो रही है। हैरान हो गए ना लेकिन ये सच है.
किसी देश का कुल प्रजनन दर गिरना उसके विकास् के लिए एक अच्छे संकेत देता है लेकिन यदि ये दर तेज़ी से गिरता है इससे जनसंख्या संतुलन में बाधा उत्पन्न हो सकती है ।
ऐसी ही परेशानी हिमाचल के सामने भी आने लगी है हिमाचल का टीएफ़आर रेट गिर रहा है । लिहाज़ा मृत्यु दर तो एक तय संतुलन के तहत हिमाचल में चल रही है लेकिन प्रजनन दर में गिरावट देखी गई है ।जिससे यदि मौतें तो तय मानक के तहत हो रही है लेकिन बच्चे ही पैदा नहीं हुए तो हिमाचल को भी कई अहम परेशानियों से जूझना पड़ सकता है। जिसके कारण धीरे धीरे बुजुर्गों की संख्या सबसे ज़्यादा हो जाएगी और मानव शक्ति का ग्राफ़ कम हो जाएगा।
हिमाचल में यह परेशानी या तो प्रजन्न में समस्या के कारण उत्पन्न हुई है या हिमाचल में विवाह दर में गिरावट हुई है या दंपति बच्चों को जन्म देने में कम दिलचस्पी दिखा रहे है
ग़ौर हो कि इस बारे में हिमाचल क्षेत्र भी चिंतित है। इस दर को सुधारने के लिए हिमाचल में विचार विमर्श शुरू हो गया है
हिमाचल प्रदेश का वर्तमान कुल प्रजनन दर (TFR) लगभग 1.7 है। यह राज्य की जनसंख्या में स्थिरता और कम जन्म दर को दर्शाता है। यह दर रिप्लेसमेंट लेवल से कम है, जो कि 2.1 TFR होता है, और इससे जनसंख्या स्थिरता पर प्रभाव पड़ सकता है। यदि यह गिरता रहा तो हिमाचल में हिमाचलियों का ग्राफ़ कम हो जाएगा
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भारत के कई अन्य राज्य भी जूझ रहे
भारत में कई राज्य ऐसे हैं जहां कुल प्रजनन दर (TFR) तेजी से गिर रही है। ये राज्य न सिर्फ़ जनसंख्या नियंत्रण में सफल हो रहे हैं, बल्कि देश की औसत प्रजनन दर से भी काफी नीचे आ चुके हैं।
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ये है प्रमुख राज्य
केरल: केरल का TFR 1.7 है, जो रिप्लेसमेंट लेवल (2.1) से नीचे है। यहां महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और परिवार नियोजन की अच्छी व्यवस्था के कारण TFR में कमी आई है।
तमिलनाडु: तमिलनाडु का TFR 1.6 है, जो पिछले कुछ वर्षों में और कम हुआ है। यहाँ भी उच्च साक्षरता दर और स्वास्थ्य सेवाओं के कारण प्रजनन दर में कमी देखी गई है।
कर्नाटक: कर्नाटक में TFR 1.7 के आसपास है। यहाँ शहरीकरण और शिक्षा के कारण प्रजनन दर में गिरावट आई है।
पंजाब: पंजाब में TFR 1.6 है। यहां कृषि आधारित समाज और शहरीकरण के साथ-साथ परिवार नियोजन नीतियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
महाराष्ट्र: महाराष्ट्र का TFR 1.7 है। यहाँ तेजी से शहरीकरण और स्वास्थ्य सेवाओं की अच्छी उपलब्धता ने TFR में गिरावट की वजह बनाई है।
दिल्ली: दिल्ली का TFR 1.5 है। शहरी क्षेत्र होने के कारण यहाँ जनसंख्या नियंत्रण के प्रयास सफल रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश: हिमाचल प्रदेश का TFR 1.6 है, जो रिप्लेसमेंट लेवल से नीचे है। यहां की जनसंख्या की स्थिरता और शैक्षिक जागरूकता के कारण यह कमी आई है।
पश्चिम बंगाल: पश्चिम बंगाल का TFR 1.6 है। यहां भी प्रजनन दर में तेजी से गिरावट आई है, जो शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के कारण संभव हो पाया है।
इन राज्यों में प्रजनन दर की गिरावट के पीछे उच्च साक्षरता दर, महिलाओं की शिक्षा, शहरीकरण, स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतर पहुंच और परिवार नियोजन की प्रभावी नीतियाँ मुख्य कारण रहे हैं। यह गिरावट देश की जनसंख्या स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है, हालांकि कुछ राज्यों में यह दर चिंता का विषय भी हो सकता है, खासकर जहां TFR बहुत ही कम स्तर पर पहुंच रही है
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तमिलनाडु ने की ये पहल
तमिलनाडु में कुल प्रजनन दर (TFR) को लेकर स्पष्ट नीतियां और योजनाएं बनाई गई हैं, खासकर राज्य की गिरती हुई TFR को ध्यान में रखते हुए। 2020 में, तमिलनाडु का TFR 1.4 तक गिर गया, जो देश के सबसे निचले स्तरों में से एक है। राज्य ने स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा, और महिलाओं के सशक्तिकरण पर जोर देकर जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए कई नीतियां लागू की हैं। हालांकि, इस गिरावट का एक नकारात्मक पहलू यह है कि कामकाजी उम्र की आबादी कम होती जा रही है, जिसके कारण निर्माण और कृषि जैसे क्षेत्रों में श्रमिकों की कमी हो रही है। इसे पूरा करने के लिए राज्य को अन्य राज्यों से प्रवासी श्रमिकों पर निर्भर रहना पड़ता है
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यदि टीएफ़आर दर गिरे तो ये होगा ख़ामियाज़ा
यदि किसी राज्य का कुल प्रजनन दर (TFR) गिरता है और लंबे समय तक बहुत कम रहता है, तो यह जनसंख्या के स्थिर या घटने का संकेत हो सकता है। इससे कुछ चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे बुजुर्गों की आबादी में वृद्धि, श्रमशक्ति में कमी, और सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों पर दबाव
इस संदर्भ में, TFR पर नियंत्रण के लिए तमिलनाडु ने महिलाओं के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा में निवेश बढ़ाने के साथ-साथ जागरूकता कार्यक्रम भी शुरू किए हैं ताकि जनसंख्या स्थिर रहे, लेकिन राज्य के आर्थिक विकास पर इसका प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।
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हर राज्य को टीएफ़आर दर के लिए भारत सरकार को देखना होगा अलग अलग
भारत का कुल प्रजनन दर (TFR) 2023 में लगभग 2.0 बच्चे प्रति महिला है। यह दर्शाता है कि औसतन, प्रत्येक महिला अपने जीवनकाल में 2 बच्चों को जन्म देती है। यह दर देश में जनसंख्या स्थिरता की ओर संकेत करती है, क्योंकि यह रिप्लेसमेंट लेवल प्रजनन (2.1) के करीब है।लेकिन ये दर अन्य राज्यों में तेज़ी से गिरती जा रही है
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टीएफ़आर गिरने से अस्तित्व खो सकता है कोई देश
कई देश ऐसे हैं जिनका टोटल फर्टिलिटी रेट (TFR) लगातार गिर रहा है, जिससे उनकी आबादी कम हो रही है और लंबे समय में उनके अस्तित्व पर असर पड़ सकता है। ये देश निम्नलिखित हैं:
जापान: जापान का TFR काफ़ी कम है, लगभग 1.3। जनसंख्या तेजी से बूढ़ी हो रही है, और कामकाजी आबादी घट रही है, जिससे आर्थिक चुनौतियाँ बढ़ रही हैं।
दक्षिण कोरिया: दक्षिण कोरिया का TFR दुनिया में सबसे कम है, जो लगभग 0.78 है। यह दर जनसंख्या घटाव के संकट की ओर संकेत करता है।
इटली: इटली का TFR 1.24 के करीब है। यहां जनसंख्या वृद्ध हो रही है और युवा आबादी में कमी देखी जा रही है।
स्पेन: स्पेन का TFR भी कम है, लगभग 1.3। स्पेन को अपनी घटती जनसंख्या और वृद्धावस्था से जुड़ी सामाजिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
रूस: रूस में जनसंख्या वृद्धि की दर धीमी हो गई है, और यहां का TFR लगभग 1.5 के आसपास है। रूस अपनी जनसंख्या स्थिरता बनाए रखने के लिए सरकारी नीतियाँ लागू कर रहा है।
जर्मनी: जर्मनी का TFR लगभग 1.5 है। जर्मनी ने प्रवासियों को आकर्षित करके इस समस्या का समाधान निकालने का प्रयास किया है, लेकिन भविष्य में जनसंख्या में गिरावट का खतरा बना हुआ है।
चीन: चीन का TFR हाल के वर्षों में 1.2 तक गिर गया है। एक बच्चे की नीति और तेजी से बदलती आर्थिक परिस्थितियों ने जनसंख्या वृद्धि को धीमा कर दिया है, जिससे भविष्य में जनसंख्या की कमी की आशंका है।
इन देशों में गिरता हुआ TFR उनकी जनसंख्या की वृद्धावस्था, कामकाजी लोगों की कमी, और आर्थिक तथा सामाजिक सेवाओं पर भारी दबाव डाल रहा है। यदि इन देशों में यह स्थिति जारी रही, तो भविष्य में उनकी जनसंख्या इतनी कम हो सकती है कि उन्हें अस्तित्व बनाए रखने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
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क्या है जनसंख्या संतुलन
जनसंख्या संतुलन (Population Balance) उस स्थिति को कहते हैं, जब किसी क्षेत्र या देश की जन्म दर और मृत्यु दर के बीच संतुलन हो, जिससे जनसंख्या की वृद्धि या घटाव स्थिर रहता है। इस स्थिति में, जितने लोग पैदा होते हैं, उतने ही लोग मृत्यु को प्राप्त होते हैं, जिससे जनसंख्या का आकार स्थिर रहता है। इसे रिप्लेसमेंट लेवल भी कहा जाता है, जो लगभग 2.1 TFR (कुल प्रजनन दर) होता है।
जनसंख्या संतुलन तब महत्वपूर्ण हो जाता है जब किसी देश की अर्थव्यवस्था, संसाधन, और पर्यावरण का प्रबंधन किया जाना आवश्यक हो। यदि जनसंख्या बहुत तेजी से बढ़ती है, तो संसाधनों पर दबाव बढ़ता है, और अगर बहुत घटती है, तो श्रम शक्ति में कमी और आर्थिक स्थिरता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
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क्या होता replacement level
रिप्लेसमेंट लेवल (Replacement Level) वह कुल प्रजनन दर (TFR) है, जिस पर एक पीढ़ी की आबादी खुद को अगली पीढ़ी में ठीक-ठाक तरीके से बदल सकती है। इसका मतलब है कि औसतन एक महिला को अपने जीवनकाल में इतनी संतानें पैदा करनी होती हैं, जिससे जनसंख्या स्थिर रह सके, न बढ़े और न घटे।
सामान्य तौर पर, रिप्लेसमेंट लेवल 2.1 माना जाता है। यह संख्या इसलिए 2.1 है, क्योंकि:
हर महिला के स्थान पर कम से कम एक बच्चा पैदा होना चाहिए। अतिरिक्त 0.1 का कारण यह है कि कुछ बच्चे जन्म के समय या युवा अवस्था में मर सकते हैं और जनसंख्या में अपना योगदान नहीं दे पाते।
यदि किसी देश या राज्य का TFR 2.1 से कम होता है, तो वहाँ की जनसंख्या लंबी अवधि में कम होने लगेगी, जब तक कि आव्रजन (immigration) या अन्य कारक इसकी भरपाई न कर दें। इसके विपरीत, अगर TFR 2.1 से ज्यादा है, तो जनसंख्या बढ़ती है



