
टीबी फ्री हिमाचल के सामने कोरोना बड़ी मुसीबत बन कर सामने आया है। जिसमें कोविड के बीच हिमाचल में चार सौ छ टीबी प्रभावित मरीजों की मौत हो गई है। मौत के आंकड़ों पर गौर करें तो सरकारी संस्थानों में 377 और निजी स्वास्थ्य संस्थानों 29 लोगों की मौत टीबी से हो गई है। हालांकि इसमें सबसे ज्यादा मामले ड्रग रेजिस्टेंस के है। लेकिन इसमें उन लोगों की मौत भी शामिल है जिन्होंने टीबी रोग की दवा शुरू करते हुए तीन से चार माह ही गए थे। नेशनल हैल्थ मिशन के तहत जुटाई गई जानकारी को लेकर ये भी सामने सामने आया है कि इसमें उन मरीजों की मौत भी दर्ज हुई है जो निम्न वर्ग से संबंध रखते है। कोविड के दौरान मौत के आंकड़ों को और बारीखी से देखा जाए तो इसमें कोरोना के समय मरीजों का अस्पताल आने के लिए हिचकिचाना भी देखा गया। यानी कि अस्पताल आने से कहीं कोरोना न हो जाय इसके कारण टीबी ग्रसित लोग अस्पताल ही नहीं आ पाए। इस बात को चिकत्सक भी मानते है कि यदि मरीज अस्पताल आ जाते तो शायद उनकी जिंदगी बचाई जा सकती थी। इस बारे में आईजीएमसी के चेस्ट एंड टीबी के विशेषज्ञ डॉक्टर डॉक्टर आर एस नेगी का कहना है कि टीबी मरीज का फॉलो अप किया जाता है लेकिन उन्हें ये कहा जाता है कि यदि दवा को लेकर कोई भी कोमलिकेशन होती है तो उन्हें जल्द अस्पताल आने के लिए कहा जाता है। डॉक्टर आर एस नेगी इस वर्ष नए पहचाने गए 10206 टीबी रोगी कोरोना के इस दौर में हिमाचल में टीबी रोगियों की पहचान का ग्राफ भी कम हुआ है। जिसमें इस वर्ष 10206 टीबी रोगी मरीज पहचाने गए है। रोगियों का ये ग्राफ गिरा भी हुआ है। जिसमें वर्ष 2019 में 17406, वर्ष 2018 में 17406, वर्ष 2018 में 16862 और वर्ष 2016 में 14333 टीबी मरीजों की पहचान की गई थी। लेकिन कोविड के दौरान खासकर लॉक डाउन के दौरान मरीजों कि पहचान नहीं हो पाई और जिसके कारण प्रभावित मौत के आगोश में भी चले गए। हालांकि ये भी सामने आया है कि कोविड के दौरान एनएचएम हिमाचल के तहत टीबी रोगियों के पहचान के लिए ट्रू नेट के माध्यम से मरीजों को रिकॉर्ड में लाया गया।


