पर्यावरण

सरकार AGISAC को एक ऐसी नोडल एजेंसी के रूप में स्थापित करेगी

अर्थ दिवसीय कार्यशाला “Use of Geospatial Technology in Governance 6 दिसंबर 2021

 

सरकार के बजट आश्वासन 2011 के अनुसार हिमाचल प्रदेश सरकार ने हिमाचल प्रदेश विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण परिषद (हिमकोस्टे) के तत्वाधान में आर्यभट्ट • जिओइन्फोर्मेटिक्स ऐंड स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (AGISAC) की स्थापना वर्ष 2011 में की इसका मुख्य उद्देश्य जीआईएस तथा रिमोट सेंसिंग द्वारा प्रदेश सरकार की योजनाओ / कार्यक्रमों को पारदर्शी व बेहतर बनाने में सहायता करना है। AGISAC वर्ष 2011 से ही स्पेस तथा जिओस्पेशियल तकनीक के द्वारा राज्य सरकार के विभिन्न विभागों जैसे निर्वाचन स्वास्थ्य वन जल शक्ति कृषि बागवानी अर्थशास्त्र और सांख्यिकी, मत्स्य आदि को उनकी योजनाओं और विकासात्मक कार्यों में निरन्तर अपनी सेवाएं दे रहा है।

 

आर्यभट्ट जिओइन्फोर्मेटिक्स ऐंड स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (AGISAC) ने 6 दिसंबर, 2021 सुबह 11:00 बजे जिओस्पेशिअल टेक्नोलॉजी का शासन में उपयोग विषय पर माननीय मुख्य सचिव हि.प्र. सरकार की अध्यक्षता में अर्थ दिवसीय वर्कशॉप का आयोजन हि.प्र. सचिवलाय, शिमला में किया। इस कार्यशाला में डॉ. प्रकाश चौहान, निदेशक, भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (Indian Institute of Remote Sensing), देहरादून व डॉ. बी के भद्रा उप महाप्रबंधक क्षेत्रीय सुदूर संवेदन केंद्र उत्तर (Regional Remote Sensing Centre North), अंतरिक्ष विभाग, भारत सरकार, विशेषज्ञ वक्ता के रूप में उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त विभिन्न विभागों के प्रशासनिक सचिव विभागाध्यक्ष एवं विभाग/निगम/बोर्डो के वरिष्ठ अधिकारियाँ ने इस कार्यशाला में भाग लिया व प्रदेश के जिला उपायुक्त एसडीएम, एडीएम, उप निदेशक,

 

महाप्रबंधक, बीडीओ, डीएफओ और शहरी स्थानीय निकायों के अधिकारी भी इस कार्यशाला में ऑनलाइन शामिल हुए।

 

प्रबोध सक्सेना, अतिरिक्त मुख्य सचिव, पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने अपने अभिभाषण में बताया कि हिमाचल प्रदेश जैसे पर्वतीय राज्य के लिए स्पेस तथा जिओस्पेशियल तकनीक द्वारा AGISAC, विकासात्मक कार्यों में एक अहम् भूमिका निभा रहा है। उन्होंने इस बात पर विशेषतया जोर देते हुए कहा की सभी विभाग बेहतर ई-गवर्नेन्स (e governance) के लिए जिओस्पेशियल तकनीक का उपयोग करें।

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अर्थ दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन पर  मुख्य सचिव  राम सुभाग सिंह  ने कहा कि केंद्रीय मंत्रालय और राज्य सरकार स्पेस तथा जिओस्पेशियल तकनीक का विकासात्मक कार्यों के लिए उपयोग कर रही है जिससे की बहुत सी सार्वजनिक लाभ योजनाओं के प्रवन्धन में सहायता मिल रही है। बजट आश्वासन 2011 के संदर्भ में उन्होंने बताया कि सरकार AGISAC को एक ऐसी नोडल एजेंसी के रूप में स्थापित करेगी जो प्रदेश के विभिन्न विभागों के लिए जिओस्पेशियल तकनीक (geospatial technologies) के द्वारा योजनाओं के उचित कार्यान्वन के लिए सहायता करेगी। इसके साथ ही उन्होंने सभी विभागों को निर्देश दिए कि वे अपने योजनाओं के निर्माण विकासात्मक कार्यों और निगरानी के लिए AGISAC से कार्य करवाएं जिससे की सभी जन कल्याणकारी योजनाएं व अन्य कार्य बेहतर व वैज्ञानिक ढंग से पूर्ण किये जा सकें।

 

डॉ. प्रकाश चौहान,निदेशक आरतीय सुदूर संवेदन संस्थान ( Indian Institute of Remote Sensing), देहरादून व डॉ. बी के भद्रा, उप महाप्रबंधक क्षेत्रीय सुदूर संवेदन केंद्र-उत्तर (Regional Remote Sensing Centre North), अंतरिक्ष विभाग, भारत सरकार ने अपने प्रस्तुतीकरण में

 

जिओस्पेशियल तकनीक का गवर्नेस (Governance) और सेवाओं के निष्पादन में संभावित क्षमताओं पर विस्तृत प्रकाश डाला।

 

श्री सुदेश कुमार मोक्टा ( सदस्य सचिव), हिमकोस्टे ने AGISAC का संक्षिप्त परिचय दिया और प्रतिभागियों को AGiSAC के महत्व और क्षमता के बारे में भी बताया। उन्होंने

 

प्रतिभागियों को इस कार्यशाला के लिए अपना कीमती समय देने के लिए भी धन्यवाद दिया।

 

श्री सतपाल धीमान (संयुक्त सदस्य सचिव), हिमकोस्टे ने AGISAC की कार्यप्रणाली व उपयोगिता के बारे में अवगत करवाया और AGISAC द्वारा सरकारी विभागों और निजी संगठनों को प्रदान की जा रही विभिन्न सेवाओं के बारे में बताया। उन्होंने यह भी बताया कि AGISAC में ड्रोन तकनीक के क्षेत्र में विशेष रूप से वन विभाग, ग्रामीण विकास IPH, PWD और संपत्ति कर मूल्यांकन (property tax assessment) के लिए सेवाएं देने की क्षमता है और AGISAC ने 30 से अधिक विभागों के लिए उनकी आवश्यकताओं के अनुसार WebGIS पोर्टल विकसित किये है।

Deepika Sharma

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