Asar EXCLUSIVE: झटका: हिमाचल में सभी मोबाइल फ़ूड टेस्टिंग वैन बंद
जांच रुकी, खतरा बढ़ा— केंद्र से बजट की देरी से हिमाचल बेहाल

केंद्र की फंडिंग अटकी, हिमाचल की फूड सेफ्टी ठप
10 जिलों की फूड टेस्टिंग वैन खड़ी, कर्मचारियों को नौ महीने से वेतन नहीं
खाद्य सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दे पर केंद्र सरकार की फंडिंग में देरी ने हिमाचल प्रदेश की पूरी फूड टेस्टिंग व्यवस्था को पंगु बना दिया है।
राज्य के 10 जिलों में संचालित मोबाइल फूड टेस्टिंग वैन बीते कई महीनों से निष्क्रिय पड़ी हैं, जबकि यही वैन पहले मौके पर सैंपल जांच और समयबद्ध रिपोर्टिंग का सबसे असरदार ज़रिया थीं।

सूत्रों के मुताबिक, मार्च 2025 से वैन में तैनात कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है। एक वैन में औसतन तीन प्रशिक्षित कर्मचारी कार्यरत रहते थे, जो अब बिना भुगतान के बैठे हैं।
मौके की जांच बंद, मिलावटखोर बेखौफ
मोबाइल फूड टेस्टिंग वैन के ठप होने से
➡️ होटल, ढाबों, बाजारों और मेलों में तत्काल जांच पूरी तरह बंद हो गई है
➡️ खाद्य नमूने अब कंडाघाट लैब भेजे जा रहे हैं,
➡️ जहाँ से रिपोर्ट आने में लंबा समय लग रहा है
परिणामस्वरूप, कार्रवाई में देरी और मिलावटखोरों को खुली छूट मिल रही है।
सब कुछ मौजूद, सिर्फ पैसा नहीं
वैन उपलब्ध है
तकनीकी उपकरण तैयार हैं
स्टाफ प्रशिक्षित है
लेकिन केंद्र से संचालन बजट जारी न होने के कारण पूरी व्यवस्था ठप पड़ी है।
जनस्वास्थ्य बनाम सरकारी फाइलें
जब केंद्र सरकार Eat Right India और फूड सेफ्टी मिशन को प्राथमिकता बताती है,
तो फिर सवाल उठता है—
हिमाचल की ज़मीनी व्यवस्था क्यों ठप है?
बल्की हिमाचल में फ़ूड सेफ़्टी अधिकारी अपना काम गंभीरता से कर रहे हैं
क्या फाइलों में अटका बजट जनता के स्वास्थ्य से ज़्यादा अहम है?
जवाबदेही तय होगी या नहीं?
यह मामला केवल प्रशासनिक देरी का नहीं,
बल्कि जनस्वास्थ्य के साथ सीधे खिलवाड़ का है।
अब निगाहें इस पर हैं कि
➡️ केंद्र सरकार फंड कब जारी करती है
➡️ कर्मचारियों को बकाया वेतन कब मिलता है
➡️ और फूड टेस्टिंग वैन कब दोबारा सड़कों पर उतरती हैं


