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मां का सपना, भाई बहन ने बना लिया अपना

रिज पर आयोजित सरस मेले में स्वयं सहायता समूह ने लगाया है स्टाल

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पारम्परिक वस्त्र तैयार कर रहा कुल्लू के कलहेली संधु स्वयं सहायता समूह
 
करीब 18 महिलाएं समूह में कर रही काम
 
सरकार के प्रयासों से मिल रही स्वरोजगार को गति
मां के सपने को पूरा करने के लिए उनके दोनों बच्चे खूब मेहनत कर रहे हैं। इसके साथ ही मां के अधूरे सपनों को पूरा करने में प्रदेश सरकार की ओर से हर संभव सहायता मुहैया करवाई जा रही है। कुल्लू जिला के गांव कलेहली डाकघर बजौर तह भुंतर के संधु स्वयं सहायता समूह 2020 से पंजीकृत है। उस समय इस समूह को इंदु और अमन की माता चलाती थी, लेकिन 2022 में उनका अचानक देहांत हो गया। इनके पिता सेना से सेवानिवृत हैं और वर्तमान में लारजी प्रोजेक्ट में कार्यरत हैं। जब माता का देहांत हुआ तो इंदू बीफार्मा की पढ़ाई करने के बाद पंचकूला में निजी कंपनी में करीब पांच सालों से लगातर जाॅब कर रही थी। मगर मां के निधन के बाद इंदु ने स्वंय सहायता समूह के काम को संभालने का फैसला लिया। उस समय छोटा भाई अमन बीबीए की पढ़ाई कर रहा था। दोनों भाई-बहन ने मिलकर फैसला लिया कि स्वयं सहायता समूह का सारा काम देंखेगे और इसका विस्तार करेंगे। इंदु ने नौकरी छोड़ने के बाद समूह में तैयार होने वाले उत्पादों के बारे में गहनता से समझना शुरू कर दिया। इसके अलावा समूह में काम कर रही 18 महिलाओं को भी आश्वासन दिया कि उनके रोजगार में कोई परेशानी नहीं आने देंगे। इसमें बाद अब पिछले तीन सालों से दोनों भाई-बहन स्थानीय पारम्परिक वस्त्रों को तैयार करके देश दुनिया में बेच रहे है। कलहेली में दोनों भाई-बहन अपनी शाॅप भी चला रहे हैं, जहां पर सारे उत्पाद उपलब्ध है। इसके अलावा राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन और राज्य ग्रामीण ग्रामीण आजीविका मिशन के साथ भी स्वयं सहायता समूह जुड़ा हुआ है। सरस मेले और हस्त शिल्प मेलों में संधु स्वंय सहायता समूह हिस्सा लेता आ रहा है। इंदु और अमन ने कहा कि सरकार के प्रयासों की वजह से हम अपने उत्पादों को आम जनता तक पहुंचा रहे हैं। सरस मेले, ट्रेड फेयर में हमें स्टाॅल न मिले होते तो हम अपने कारोबार का विस्तार न कर पाते। हमारे साथ जुड़ी महिलाएं पूर्ण रूप से इसी पर निर्भर हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले कुछ सालों में स्वयं सहायता समूह काफी व्यापक स्तर पर कारोबार करने की दिशा में प्रयास कर रहा है। अमन ने जानकारी देते हुए कहा कि मेरी बहन मार्केटिंग का सारा काम देखती है जबकि अन्य सारा काम वह खुद देखते हैं। हम सब मिल कर काम करते है। मेरा लक्ष़्य यही है कि हमारा सहायता समूह देश दुनिया में खूब कारोबार करें और हमारी ग्रामीण महिलाओं की आर्थिकी मजबूत हो सके। हमें अपने स्थानीय उत्पादों को प्रमोट करना चाहिए। इसी के माध्यम से हम आत्मनिर्भर के संकल्प को धरातल पर उतार पाएंगे।
युवा पीढ़ी बनाएं पारम्परिक वस्त्रों को अभिन्न अंग
संधु स्वयं सहायता समूह की सदस्य इंदु ने कहा कि हमारी सभ्यता एवं संस्कृृति की पहचान हमारे पारम्परिक वस्त्रों से होती आ रही है। लेकिन आज की युवा पीढ़ी इन वस्त्रों को उतनी महत्वता नहीं देती है। हमारे समूह की कोशिश की है कि पारम्परिक वस्त्रों को थोड़ा अपडेट करते हुए युवा पीढ़ी की पसंद के अनुरूप बनाए ताकि उन्हें यह वस्त्र खूब भाए। उन्होंने कहा कि कढ़ाई से वाॅल फ्रेम तैयार की गई है जोकि शोपीस के तौर पर घर या आफिस में इस्तेमाल की जा सकती है। इसमें कुल्लु पट्टी का पारम्परिक डिजाईन उकेरा गया है।
संधु स्वयं सहायता समूह करता अनेको उत्पादों का निर्माण
संधु स्वयं सहायता समूह सदरी, कोट, गर्म सूट, शाॅल, टोपी आदि उत्पादों का निर्माण कर रहा है। इसमें जीआई टैग प्राप्त कच्चे माल की इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके साथ ही यह सारे उत्पाद ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं द्वारा बनाए जाते हैं जिससे उनकी आर्थिकी सुदृढ़ हो रही है।
Deepika Sharma

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