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समग्र शिक्षा में 24 वर्षों बाद मुख्यमंत्री का दौरा, एलईपी 2.0 और विद्या समीक्षा केंद्र लॉन्च

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*मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने एलईपी सहित समग्र शिक्षा की कई प्रमुख पहलों का किया शुभारंभ*

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*शिक्षा के क्षेत्र में 2032 तक देश का अग्रणी राज्य बनेगा हिमाचलः मुख्यमंत्री*

*शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए भविष्य में उठाए जाएंगे ठोस व प्रभावी कदमः मुख्यमंत्री*

*शिमला*

समग्र शिक्षा के लिए शनिवार का दिन ऐतिहासिक रहा। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने शनिवार को समग्र शिक्षा निदेशालय पहुंचकर अपने कर कमलों से समग्र शिक्षा की कई महत्वपूर्ण पहलों का शुभारंभ किया। बीते लगभग 24 वर्षों में यह पहला अवसर है जब कोई मुख्यमंत्री समग्र शिक्षा निदेशालय पहुंचे हैं। इससे पूर्व वर्ष 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने निदेशालय का दौरा किया था।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर एलईपी 2.0 की लांचिंग के साथ नव-निर्मित विद्या समीक्षा केंद्र (VSK) का उद्घाटन किया। इसके अतिरिक्त उन्होंने समग्र शिक्षा निदेशालय में स्थापित एजुकेशन गैलरी, प्रोग्राम मैनेजमेंट स्टूडियो–कॉन्फ्रेंस एरिया, नया कॉन्फ्रेंस हॉल तथा सेंट्रल हीटिंग सिस्टम का भी विधिवत शुभारंभ किया। कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर, विधायक सुरेश कुमार एवं सुदर्शन बबलू, समग्र शिक्षा निदेशक राजेश शर्मा, उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. अमरजीत शर्मा, स्कूली शिक्षा निदेशक आशीष कोहली व अतिरिक्त निदेशक बी.आर. शर्मा, उपायुक्त शिमला अनुपम कश्यप, पुलिस अधीक्षक संजीव गांधी सहित अनेक अधिकारी उपस्थित रहे। समग्र शिक्षा निदेशक राजेश शर्मा ने मुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री का पारंपरिक टोपी व शाल पहनाकर स्वागत किया।

*शिक्षा में गुणात्मक सुधार सरकार की पहली प्राथमिकता*
इस अवसर पर मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि सरकार ने कार्यभार संभालते ही शिक्षा को पहली प्राथमिकता दी। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए ठोस निर्णय आवश्यक थे, जिनकी शुरुआत की जा चुकी है और आने वाले समय में इस दिशा में और भी प्रभावी कदम उठाए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को मर्ज करने और शिक्षकों के युक्तिकरण से स्कूलों में शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है, जिससे शिक्षण गुणवत्ता में सुधार आया है। स्कूली शिक्षा के लिए अलग निदेशालय का गठन किया गया है। नए संस्थान खोलने की बजाय पहले से स्थापित संस्थानों को सुदृढ़ करने पर जोर दिया जा रहा है। सरकारी स्कूलों में अंग्रेज़ी माध्यम लागू करने का निर्णय भी इसी सोच का परिणाम है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने बड़े स्तर पर शिक्षकों की भर्तियां की हैं, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। सरकार के प्रयासों से हिमाचल गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के क्षेत्र में 21वें स्थान से छलांग लगाकर 5वें स्थान पर पहुंचा है। मुख्यमंत्री ने साफ किया कि शिक्षा के बजट में कोई कमी नहीं आने दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने राजीव गांधी डे-बोर्डिंग स्कूलों की स्थापना का उल्लेख करते हुए कहा कि इन स्कूलों का उद्देश्य शिक्षा के साथ-साथ विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित करना है। सरकार का लक्ष्य है कि ऐसे विद्यालय विकसित किए जाएं, जहां अध्ययन के साथ खेलकूद और अन्य आधुनिक सुविधाएं भी उपलब्ध हों। इसके साथ ही स्कूलों को सीबीएसई से संबद्ध करने का निर्णय लिया गया है, ताकि विद्यार्थी प्रतिस्पर्धात्मक युग में बेहतर ढंग से आगे बढ़ सकें।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि शिक्षकों के लिए नई ट्रांसफर पॉलिसी लाई जा रही है और शिक्षक समुदाय से इन सुधारों में सहयोग की अपील की।

*मुख्यमंत्री के निर्देश पर शिक्षा क्षेत्र में व्यापक बदलाव किए गएः शिक्षा मंत्री*
शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा शुरू की गई महत्वपूर्ण पहलें शिक्षा के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होंगी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में राज्य सरकार प्रारंभ से ही शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। आर्थिक चुनौतियों के बावजूद सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में बजट की कटौती नहीं की। मुख्यमंत्री के स्पष्ट निर्देशों के अनुरूप शिक्षा विभाग को उदारतापूर्वक बजट उपलब्ध कराया गया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में शिक्षा क्षेत्र में बड़े स्तर पर संरचनात्मक और गुणवत्तात्मक सुधार किए गए हैं। शिक्षण संस्थानों में रोजगारोन्मुख नए विषय आरंभ किए गए हैं, ताकि विद्यार्थियों को वर्तमान समय की आवश्यकताओं के अनुरूप कौशल प्रदान किया जा सके।

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*शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए 7,000 से ज्यादा पद भरे गए*
शिक्षा मंत्री ने कहा कि शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए लगभग 7,000 पदों पर भर्तियां की गई हैं। इन प्रयासों का प्रभाव अब जमीनी स्तर पर स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा है और शिक्षा की गुणवत्ता में निरंतर सुधार हो रहा है। उन्होंने कहा कि परख सर्वेक्षण में हिमाचल प्रदेश ने समग्र रूप से पांचवां स्थान प्राप्त किया है। इसी प्रकार पीजीआई में भी राज्य ने उल्लेखनीय प्रगति दर्ज की है, जबकि असर रिपोर्ट में विद्यार्थियों के लर्निंग लेवल में सकारात्मक सुधार सामने आया है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में अभी और सुधार की आवश्यकता है और सरकार इस दिशा में निरंतर कार्य कर रही है।

 

*मुख्यमंत्री की दूरदर्शी सोच, शिक्षा मंत्री के प्रयासों से शिक्षा में अभूतपूर्व बदलावः राजेश शर्मा*
समग्र शिक्षा निदेशक राजेश शर्मा ने मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के समग्र शिक्षा निदेशालय आगमन पर आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल के दौरे के बाद लगभग 24 वर्षों में यह पहला अवसर है, जब कोई मुख्यमंत्री समग्र शिक्षा निदेशालय पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि समयाभाव के बावजूद मुख्यमंत्री द्वारा यहां आकर मार्गदर्शन देना अत्यंत प्रेरणादायी है।
राजेश शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री की दूरदर्शी सोच, स्पष्ट विजन और निरंतर मार्गदर्शन और शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर के सतत प्रयासों से शिक्षा के क्षेत्र में कई बड़े और अभूतपूर्व कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि जो कार्य पूर्व में कभी नहीं हो पाए, वे वर्तमान सरकार के कार्यकाल में साकार हुए हैं। उन्होंने कहा कि परख सर्वेक्षण में हिमाचल प्रदेश का 21वें स्थान से सीधे पांचवें स्थान पर पहुंचना एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार के कार्यकाल में पहली बार 400 से अधिक शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए सिंगापुर भेजा गया। इसके साथ ही शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए यूनेस्को और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के साथ करार किए गए। इसके साथ ही मेधावी विद्यार्थियों को भी पहली बार सिंगापुर और कंबोडिया के शैक्षणिक भ्रमण का अवसर मिला। समग्र शिक्षा के अंतर्गत पहली विशेष आवश्यकता वाले विद्यार्थियों को संसद का शैक्षणिक भ्रमण कराया गया है।
राजेश शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री के निर्देशों के अनुसार पहली बार शिक्षकों को आईआईटी और आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से प्रशिक्षण प्रदान किया गया। उन्होंने एलईपी कार्यक्रम को ऐतिहासिक पहल बताते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश ने इस दिशा में देश में अग्रणी भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी के कौशल विद्यार्थियों में विकसित करने के लिए भी ठोस कदम उठाए गए हैं। उन्होंने विद्या समीक्षा केंद्र (VSK) को मुख्यमंत्री की दूरदर्शी सोच का परिणाम बताते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश इस तरह का केंद्र स्थापित करने वाला देश का पांचवां राज्य है।
राजेश शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार से प्राप्त अनुदान के प्रभावी उपयोग को लेकर पहले बड़ी चुनौतियां थीं और राज्य सामान्यतः 60 से 65 प्रतिशत तक ही बजट खर्च कर पाता था, लेकिन वर्तमान सरकार के कार्यकाल में यह खर्च बढ़कर 95 से 100 प्रतिशत तक पहुंच गया है। समग्र शिक्षा निदेशक ने कहा कि अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा, राजीव गांधी डे-बोर्डिंग स्कूल, मुख्यमंत्री पोषण योजना, स्कूलों की क्लस्टरिंग तथा शिक्षा में किए गए संरचनात्मक और मूलभूत सुधारों के सकारात्मक प्रभाव आने वाले समय में और अधिक स्पष्ट रूप से दिखाई देंगे। उन्होंने शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर एवं शिक्षा सचिव राकेश कंवर के निरंतर मार्गदर्शन और सहयोग के लिए भी आभार व्यक्त किया।

Deepika Sharma

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