APG शिमला यूनिवर्सिटी ने “Before You Fall, Stand Tall” शीर्षक से नशा मुक्ति पर विशेष जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया

शिमला, 29 सितंबर 2025
APG शिमला यूनिवर्सिटी ने छात्रों को नशे की बढ़ती समस्या के प्रति जागरूक करने और उन्हें एक नशा-मुक्त समाज के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करने हेतु एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम “Before You Fall, Stand Tall” का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य केवल जागरूकता फैलाना नहीं, बल्कि छात्रों को जिम्मेदार नागरिक बनने और नशा उन्मूलन की दिशा में सक्रिय सदस्य बनने के लिए सशक्त बनाना भी था।
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और मुख्य वक्ता हिमाचल प्रदेश के पुलिस महानिदेशक अशोक तिवारी, IPS थे। अपने प्रभावशाली संबोधन में डीजीपी तिवारी ने युवाओं में नशे के बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त की और समय रहते जागरूकता व हस्तक्षेप की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने छात्रों से कहा कि वे खुद को “बिना वर्दी के पुलिसकर्मी” समझें और अपने आस-पास किसी भी संदिग्ध या गैरकानूनी गतिविधि की जानकारी तुरंत साझा करें। उन्होंने यह भी कहा कि छात्र केवल स्वयं को ही नहीं, बल्कि अपने साथियों को भी जागरूक कर इस मुहिम में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने छात्रों से नशा विरोधी अभियानों में स्वयंसेवक के रूप में जुड़ने और पुलिस व प्रशासन के साथ मिलकर एक स्वस्थ समाज बनाने की अपील की।
इस अवसर पर एसपी (वेलफेयर) पंकज शर्मा, डीएसपी (PHQ) श्रीमती गीता अंजलि ठाकुर, कॉन्स्टेबल आनंदनी, और लेडी कॉन्स्टेबल वनीता भी उपस्थित रहे। इन अधिकारियों ने भी छात्रों को संबोधित किया और अपने-अपने क्षेत्र से जुड़े अनुभव साझा किए। उन्होंने हिमाचल प्रदेश पुलिस द्वारा नशा रोकथाम के लिए चलाए जा रहे विभिन्न अभियानों, जागरूकता कार्यक्रमों और सामुदायिक भागीदारी की जानकारी दी। साथ ही, उन्होंने ऐसे कई सच्चे उदाहरण साझा किए जहाँ समय पर जागरूकता और हस्तक्षेप से युवाओं की ज़िंदगी बचाई गई।
कार्यक्रम का एक प्रमुख आकर्षण रहा छात्रों और अधिकारियों के बीच संवादात्मक प्रश्नोत्तर सत्र। छात्रों ने नशा पहचानने के प्रारंभिक लक्षणों, पुनर्वास केंद्रों की भूमिका, सहायता प्राप्त करने की प्रक्रिया, और नशा रखने या प्रयोग करने की कानूनी परिणामों से संबंधित अनेक महत्वपूर्ण प्रश्न पूछे। छात्रों ने नशा विरोधी अभियानों में स्वयंसेवक बनने की भी इच्छा जताई। अधिकारियों ने छात्रों की जिज्ञासा और जागरूकता की सराहना की और सभी प्रश्नों का विस्तार से उत्तर दिया। डीजीपी तिवारी ने स्वयं भी कई प्रश्नों का उत्तर दिया और आश्वासन दिया कि पुलिस हर उस व्यक्ति के साथ है जो इस सामाजिक बुराई के विरुद्ध खड़ा होना चाहता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पुनर्वास एक दंड नहीं, बल्कि सुधार और पुनर्प्राप्ति की प्रक्रिया है।
कार्यक्रम का समापन विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार श्री आर.एल. शर्मा द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने पुलिस अधिकारियों द्वारा दिए गए समय और उनके अमूल्य अनुभवों के लिए आभार प्रकट किया और विश्वविद्यालय की ओर से एक सुरक्षित, स्वस्थ और नशा-मुक्त वातावरण निर्माण की प्रतिबद्धता दोहराई। कार्यक्रम का संचालन डॉ.मनिंदर कौर ने किया, जिन्होंने पूरे कार्यक्रम को सहज और प्रभावी रूप से संचालित किया।
इस जागरूकता कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के समस्त अधिकारीगण, संकाय सदस्य और विभिन्न विभागों के छात्र उपस्थित रहे। यह केवल एक जानकारीपूर्ण सत्र नहीं था, बल्कि युवाओं के लिए पुलिस अधिकारियों के साथ संवाद और सहभागिता का एक सशक्त मंच था। इस कार्यक्रम ने यह संदेश स्पष्ट किया कि नशा केवल कानून व्यवस्था की समस्या नहीं है, बल्कि एक सामाजिक चिंता का विषय है, जिसका समाधान तभी संभव है जब समाज का हर वर्ग, विशेषकर युवा, इसमें सक्रिय भूमिका निभाएं।


