EXCLUSIVE: हिमाचल में डायग्नॉस्टिक लैबस का टेंडर रद्द
टेस्ट सस्ता होने की उम्मीद टूटी!

शिमला।
राजकीय अस्पतालों में सस्ती और सुलभ डायग्नॉस्टिक सेवाओं की उम्मीद लगाए बैठे हज़ारों मरीजों को अब और लंबा इंतजार करना पड़ेगा। हिमाचल प्रदेश मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन (HPMC) द्वारा प्रस्तावित डायग्नॉस्टिक लैब का टेंडर रद्द कर दिया गया है। वजह — केवल एक ही कंपनी ने बोली लगाई।
टेंडर में अकेली निविदा, सरकार ने खींचा ब्रेक
सरकार अस्पतालों में आधुनिक जांच सुविधाएं देने के लिए लैब स्थापित करना चाहती थी। लेकिन टेंडर प्रक्रिया में केवल एक ही निविदा मिलने के कारण, ट्रांसपेरेंसी और प्रतिस्पर्धा के अभाव में यह प्रस्ताव रद्द कर दिया गया।
मरीजों को निजी लैब का सहारा
अब हालत ये है कि सरकारी अस्पतालों में जिन जांचों के लिए पहले ₹50 या ₹100 लगते थे, वही टेस्ट प्राइवेट लैब में ₹500 से ₹1500 तक में करवाने पड़ रहे हैं। ख़ासकर गरीब और ग्रामीण इलाकों से आने वाले मरीजों के लिए यह खर्च भारी पड़ रहा है।
“सरकारी लैब शुरू होती तो बहुत राहत मिलती। अब हर बार निजी लैब जाना पड़ता है, और जेब पर बोझ भी पड़ता है,”
–आशा देवी, रोगी, शिमला
सस्ती जांचों के लिए अब और इंतजार
इस टेंडर रद्द होने से सरकार को दोबारा प्रक्रिया शुरू करनी होगी, जिससे नई डायग्नॉस्टिक सुविधाओं की शुरुआत में कम से कम कुछ और महीनों की देरी तय मानी जा रही है।
अब क्या?
सरकार यदि इस दिशा में जल्द कार्रवाई नहीं करती, तो प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं और जांच का बोझ निजी क्षेत्र पर ही रहेगा — जो जेब और जनहित दोनों पर भारी साबित हो सकता है।


