अरुण ओझा कोष, लेखा एवं लॉटरीज विभाग (मुख्यालय) से संयुक्त निदेशक के पद से सेवानिवृत्त

अरुण ओझा कोष, लेखा एवं लॉटरीज विभाग (मुख्यालय) से संयुक्त निदेशक के पद से सेवानिवृत्त हुए । महान व्यक्तित्व के धनी अरुण ओझा की विभाग के विभिन्न क्षेत्रों के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
सेवानिवृति के इस अवसर पर निदेशक वित्त विभाग आदरणीय रोहित जमवाल और अतिरिक्त निदेशक आदरणीय दीपक भारद्वाज ने अरूण ओझा को सम्मानित किया l मुख्यालय के अधिकारी व कर्मचारी वर्ग ने उनके साथ विभाग में बिताए अनुभव साझा किए l इस अवसर पर युद्धवीर सिंह ठाकुर ,संयुक्त निदेशक (Retd.) वर्तमान में ओ.एस.डी. कोष, लेखा एवं लॉटरीज विभाग, संयुक्त निदेशक संजय शर्मा, उप निदेशक राकेश धर्माणी, राकेश कुमार, जिला कोषाधिकारी इन्द्रदीप शर्मा, शीतल शर्मा,गौरव महाजन, कोषाधिकारी शीला वर्मा,श्यामा जैन,पुनीत चौहान,सालिगराम,अनुपम चौहान,वरिष्ठ सहायक प्रोमिला भारद्वाज,कमल शर्मा,जितेन्द्र सहोत्रा, हितेश,लाल सिह,जय प्रकाश, हैप्पी, सुरेश,अनूप,पुनीत सिह,मुनीश,विकास,मीनाक्षी शर्मा, स्नेह वर्मा,अमृता,अमित कुमार,अंकित कश्यप, प्रकाश शर्मा,शीशपाल,कविता शर्मा,आंचल, वंदना ठाकुर, स्वाति,सुमित्रा,आशा,रंजू,मन्नू व श्री अरूण ओझा के परिवार के सदस्य,पत्नि सरिता ओझा, पुत्र सानिध्य व सात्विक ओझा आदि शामिल रहे l मंच संचालन प्रोमिला भारद्वाज ने किया इसके अतिरिक्त उप-कोष करसोग के कोषाधिकारी मनमोहन शर्मा द्वारा रचित कविता के रूप में शुभकामना संदेश को अतिरिक्त निदेशक दीपक भारद्वाज व उमा ठाकुर नधैक,कोषाधिकारी, उप-कोष ननखड़ी द्वारा रचित कविता के रूप में निम्न शुभकामना संदेश उप निदेशक श्री राकेश धर्माणी द्वारा पढ़ा गया।
शुभकामना संदेश
——————–
जिला कोषाधिकारी से संयुक्त निदेशक
तक का शानदार सफर,
आपके व्यक्तित्व की कहानी बयां करता है।
आपकी मेहनत, लगन व निष्ठा ने
आपको इस मुकाम तक पहुँचाया है।
अधिकारी व कर्मचारी वर्ग के साथ
सहयोगी व सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार ने
आपको एक आदर्श अधिकारी बनाया है।
फाईलो की जमी धूल से लेकर
ई-ऑफिस तक का सफर
न था आसान मगर,
विभाग को नई बुलंदियों तक पहुँचाने मे
सबने मिलकर हाथ बढाया है।
दफ्तर की फाईलों से दूर,
अब बस परिवार के साथ समय है बिताना ,
पारिवारिक रिश्तों की डोर को मज़बूत है बनाना ।
काम के पलों को अब मोड़ दिया,
जीवन के सफर को जोड़ दिया।
अब वक्त है उन पलों को जीने का,
जिन्हें नौकरी की आपाधापी मे आपने छोड़ दिया।
अब वक्त है ठहर कर जीवन के हर रंग जीने का,
कान्हा के चरणों में, गुरु प्रेमानंद के सानिध्य में
जीवन के अमृत को पीने का।
आपकी सेवानिवृत्ति की नई पारी शुरू होने पर,
हम आपके खुशी और स्वस्थ जीवन की कामना करते हैं।


