एचआरटीसी को लेकर एक पिता का खुला पत्र…

” सजग साधना सविनय सेवा ”
उपरोक्त स्लोगन HRTC की बसों में इनके लोगो में लिखा होता है । पहले इस स्लोगन का अर्थ सही मायने में पता नहीं था लेकिन कल इसका अर्थ चरितार्थ होते देखा । चम्बा से दिल्ली जाने बाली बस रैहन स्थित सुनसान अड्डे पर रात बारह बजे के आसपास रूकी तो कंडक्टर महोदय ने ड्राइवर को तब तक बस चलाने के लिए मना कर दिया जब तक मैं बहां पर पहुंच न पाया ।
हुआ यूं कि मेरी लड़की कल 4:30 PM चम्बा से दिल्ली की ओर जाने वाली बस में रैहन के लिए बैठी थी । यह बस देर रात 12 बजे रैहन पहुंचती है । मैने बेटी को कहा था कि जब आप राजा का तालाब पहुंचोगे तो मुझे फोन कर देना, मैं बस के रैहन पहुंचने तक बहां आ जाऊंगा । लेकिन सामंजस्य की स्थिती में मैं रैहन एक आध मिनट लेट पहुंचा ।
मैने देखा कि बस तो आ चुकी है लेकिन इन्जन बन्द करके बस बहीं खड़ी है तो मैने बेटी से पूछा क्या बात है बस खड़ी क्यों है तो बह बोली यह बस मेरे लिए ही खड़ी है कि आपके घर से अभी तक कोई नहीं पहुंचा । जब तक आपके घर से कोई नहीं आता हम आगे नहीं जा सकते ।
यह सुनकर मुझे बहुत सुखद महसूस हुआ लेकिन आत्मग्लानि भी हुई कि मुझे कंडक्टर साहब का धन्यवाद करना चाहिए था जिन्होने यह जिम्मेदारी वाला काम किया लेकिन मुझे सही स्थिती का ज्ञान होने तक बस जा चुकी थी ।
मेरी सरकार से यह प्रार्थना है कि रात भर चलने वाले यह पथिक इतने भरोसेमंद तरीके से अपनी सेवाएं दे रहे हैं, इनका मेहनताना समय रहते ही भुगतान हो जाना चाहिए तथा ऐसे ईमानदार कर्मचारियों को जरूर प्रोत्साहित करना चाहिए ।
धन्यवाद ! हिमाचल पथ परिवहन निगम ।



