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सेब के A ग्रेड के लिए 80 रु/ किलो, B ग्रेड के लिए 60रु/किलो व C ग्रेड के सेब के लिए 30 रु/ किलो के दाम तय किए जाए

 

संयुक्त किसान मंच सरकार से मांग करता है कि वर्ष 2023 के लिए सेब, नींबू प्रजाति, आम व अन्य फसलों के लिए मण्डी मध्यस्थता योजना(MIS) को तुरन्त घोषित कर प्रदेश के सभी क्षेत्रों में संग्रहण केन्द्र खोल कर इसकी खरीद आरम्भ करे। इस योजना के अंतर्गत सेब के A ग्रेड के लिए 80 रु/ किलो, B ग्रेड के लिए 60रु/किलो व C ग्रेड के सेब के लिए 30 रु/ किलो के दाम तय किए जाए। सेब का सीजन आरम्भ हो गया है परन्तु सरकार ने अभी तक इसकी घोषणा तक नही की है। जबकि आज तक के चलन के अनुसार सरकार 15 जुलाई से विभिन्न क्षेत्रो मे संग्रहण केन्द्र खोल कर खरीद आरम्भ कर दिया करती थी।

मंच केन्द्र सरकार से भी मांग करता है कि मण्डी मध्यस्थता योजना(MIS) को समाप्त करने के लिए जो कार्य किया जा रहा है उस पर तुरन्त पुनर्विचार किया जाए तथा इसके लिए इस वर्ष के बजट मे उचित राशि का प्रावधान किया जाए। केन्द्र सरकार ने वर्ष 2022-23 के बजट में 1500 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा था जोकि वर्ष 2023- 24 के बजट में घटा कर मात्र एक लाख रुपए रखा गया है। केंद्र सरकार मण्डी मध्यस्थता योजना(MIS) के तहत करीब 17 राज्यों में विभिन्न फलों व फसलों की खरीद किया करती है जिसमें हिमाचल प्रदेश में सेब, नींबू प्रजाति व आम की खरीद की जाती रही है। केंद्र सरकार के इस योजना को समाप्त करने के निर्णय से राज्य सरकार भी केंद्र से समय पर भुगतान नहीं कर पा रही है और अभी केवल सेब बागवानों का ही सरकार द्वारा 80 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान का बकाया है। इस वर्तमान संकट को ध्यान में रखते हुए बागवानों के बकाया भुगतान को तुरन्त किया जाए!

प्रदेश में इस वर्ष कम बर्फबारी, ओलावृष्टि व असामयिक भारी वर्षा के चलते पहले ही सेब व अन्य फसलों की पैदावार बहुत कम हुई है। इसके साथ ही जुलाई के महीने में भारी वर्षा व बाढ़ से समूचे प्रदेश में भारी नुक़सान हुआ है। जिससे किसान बागवान की जमीन, पेड़ पौधे व फसल बर्बाद हुए है और संकट और अधिक गहरा गया है। एक ओर किसान बागवान की महंगाई के कारण लागत कीमत बढ़ गई है। दूसरी ओर कम उत्पादन व मंडियों मे उचित दाम न मिलने से उसको आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है जिससे उसका संकट और अधिक गहरा गया है।

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इस ओलावृष्टि व भारी वर्षा से किसान बागवान की फसल का उत्पादन कम होने के साथ ही उसकी गुणवत्ता भी प्रभावित हुई है। एक ओर बढ़ती मंहगाई के चलते और दूसरी ओर भारी वर्षा के कारण किसान बागवान समय रहते तय सारिणी के अनुसार छिड़काव नही कर पाए हैं। जिसके कारण आज लगभग सभी सेब के बगीचों में पतझड़ की बीमारी के लक्षण दिखाई दे रहे हैं और अभी तक 40 प्रतिशत से अधिक बगीचों में बड़े पैमाने पर पतझड़ से नुक़सान हो गया है। इससे फलों के आकार व रंग सही रूप में नही आ रहा है जिससे इसकी गुणवत्ता बुरी तरह से खराब हो गई है और मंडियां में उचित दाम नही मिल पा रहा है। दूसरी ओर भारी वर्षा से सेब व अन्य फलों का तुड़ान समय पर न होने व लम्बे समय तक सड़को के बंद रहने से भी बागवान समय पर मंडियों तक अपना उत्पाद नही पहुंचा पा रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में सरकार मण्डी मध्यस्थता योजना(MIS) के मध्यम से यदि खरीद करे तो किसानों बागवानों को इस संकट की घड़ी में कुछ हद तक राहत मिलेगी। यदि सरकार इस संकट की घड़ी में जनता के प्रति अपनी संवैधानिक दायित्व का निर्वहन नही करती है तो आज प्रदेश का किसान बागवान जोकि प्रदेश की कुल आबादी का 70 प्रतिशत है और संकट से जूझ रहा है बर्बादी की कगार पर चला जाएगा।

मंच केंद्र व राज्य सरकार से मांग करता है कि इस संकट की घड़ी में अपने संवैधानिक दायित्व का निर्वहन करते हुए राहत कार्यों में तेजी लाई जाए तथा मण्डी मध्यस्थता योजना(MIS) को तुरन्त प्रभाव से लागू कर सेब व अन्य फसलों की खरीद आरम्भ करे और इसके तहत पिछले बकाया राशि का भुगतान तुरन्त किया जाए।

 

Deepika Sharma

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