मिड डे मील वर्करज़ की मांगों को लेकर 20 जुलाई को होंगें प्रदेशव्यापी प्रदर्शन
सीटू राज्य कमेटी की बैठक प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा की अध्यक्षता में कुल्लू में सम्पन्न हुई। बैठक के बाद औद्योगिक सम्बन्धों पर मोदी सरकार द्वारा लाये गए मजदूर विरोधी लेबर कोड पर राज्य स्तरीय कार्यशाला का भी आयोजन किया गया। इसमें लगभग सौ लोगों ने भाग लिया। बैठक में डॉ कश्मीर ठाकुर,विजेंद्र मेहरा,प्रेम गौतम,जगत राम,रविन्द्र कुमार,सुदेश कुमारी,केवल कुमार,जोगिंद्र कुमार,भूपेंद्र सिंह,राजेश शर्मा,राजेश ठाकुर,एन डी रणौत,राजेन्द्र ठाकुर,बिहारी सेवगी,अजय दुलटा व कुलदीप डोगरा आदि शामिल रहे।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने राज्य कमेटी बैठक के निर्णयों की जानकारी देते हुए कहा कि 12 जुलाई को आंगनबाड़ी दिवस मनाया जाएगा व इस दिन प्रदेश भर में आंगनबाड़ी कर्मी अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन करेंगे। मिड डे मील वर्करज़ की मांगों को लेकर 20 जुलाई को प्रदेशव्यापी प्रदर्शन होंगे। मजदूरों व किसानों की मांगों को लेकर 25 जुलाई से 8 अगस्त तक प्रदेशव्यापी अभियान होगा व 9 अगस्त को भारत छोड़ो दिवस के मौके पर प्रदेशभर में मजदूरों किसानों के प्रदर्शन होंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार व प्रदेश की जयराम सरकार लगातार मजदूर विरोधी निर्णय ले रही हैं। केंद्र सरकार ने केवल 2600 रुपये मासिक वेतन लेने वाले मिड डे मील वर्करज़ के वेतन में पिछले बारह वर्षों में एक भी रुपये की बढ़ोतरी नहीं की है। कोरोना काल में शानदार कार्य करने वाले आंगनबाड़ी कर्मियों को हिमाचल प्रदेश में हरियाणा के मुकाबले केवल आधा वेतन दिया जा रहा है। कोरोना योद्धा आशा व आउटसोर्स कर्मियों का भारी शोषण किया जा रहा है। उन्हें सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम वेतन तक नहीं दिया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश के मजदूरों के वेतन को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के साथ नहीं जोड़ा जा रहा है। कोरोना काल में देश की ही तरह प्रदेश में हज़ारों मजदूरों की छंटनी की गई है व उनके वेतन में चालीस प्रतिशत तक कि कटौती की गई है। देश के मजदूर लंबे समय से 21 हज़ार रुपये वेतन की मांग कर रहे हैं परन्तु उनका वेतन बढ़ाने के बजाए मजदूरों के श्रम कानूनों को खत्म करके मजदूर विरोधी चार लेबर कोड बना दिये गए हैं। इन लेबर कोडों से नियमित रोज़गार खत्म हो जाएगा। इस से फिक्स टर्म रोज़गार व हायर एन्ड फायर नीति को बढ़ावा मिलेगा व मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा खत्म हो जाएगी।