विविध

पुरानी पेंशन का कर्मचारियों को क्या है लाभ ? जानें

 

केंद्र सरकार तथा अधिकाश राज्य सरकारो ने अपने कर्मचारियों के लिए नई पेंशन स्कीम लागू की है। इस व्यवस्था के तहत पेंशन के लिए कर्मचारियों के वेतन से 10 फीसदी की कटौती की जाती है। इतनी ही सहयोग सरकार करती है। अब सरकार ने अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 14 फीसदी कर दी है। लेकिन कर्मचारी इससे संतुष्ट नहीं हैं। कर्मचारियों का कहना है कि सरकार पुरानीं पेंशन व्यवस्था को लागू करे। आज जारी एक सयुक्त प्रेस बयान में आल इंडिया फेडरेशन आफ टीचर आर्गेनाईजेशन के आज जारी एक सयुंक्त प्रेस ब्यान में फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अश्वनी कुमार, सेक्ट्री जनरल सी.एल.रोज पैटर्न श्री

रमेश जोशी  डी .वी.पंडित ,राष्ट्रिय प्रेस सचिव प्रेम शर्मा, राष्ट्रिय कार्यकारी अध्यक्ष रमेश भाई पटेल गुजरात वरिष्ठ उपा अध्यक्ष श्रीमती रश्मि सिंह दिल्ली, श्रीमती शिल्पा नायक चेयरपर्सन महिला विंग मीडिया सचिव रजनीश राणा सचिव डॉ निशा शर्मा ,उप सचिव सोनल के पटेल गुजरात , सलाउदीन उपाअध्यक्ष केरल, किशोर महापात्रा सलाहकार उड़ीसा, एम .जी .रेडी सचिव तेलांगना, एल. के. चिनप्पा वरिष्ठ उपा अध्यक्ष आँध्रप्रदेश सोहन मजिला सगठन सचिव उत्तराखंड, उपा अध्यक्ष सालिगराम प्रजापति उत्तर प्रदेश डी.वि.खत्री मध्यप्रदेश ,वरिष्ठ उपा अध्यक्ष श्री कांत वनायकर महाराष्ट्रा राजीव मालिक हरियाणा ,हाकम सिंह पंजाब, रणजीत सिंह राजपूत राज्य स्थान ने बताया कि पुरानी पैंशन कर्मचारियों का अधिकार हें ये उनके बुढ़ापे का सहारा हें इसमे वों सारी व्यवस्थाएं हें जिन से कर्मचारियो के हित सुरक्षित रहते हें

 

पुरानी पेंशन के लाभार्थियों को जनरल प्रोविडेंट फंड (GPF) की सुविधा मिलती है।

 

– पुरानी पेंशन के तहत कर्मचारियों के वेतन से कोई कटौती नहीं होती है।

– पुरानी पेंशन के लाभार्थियों को अंतिम वेतन के 50 फीसदी के बराबर गारंटी पेंशन मिलती है।

– पुरानी पेंशन पूरी तरह से सरकार द्वारा दी जाती है।

– पुरानी पेंशन में विवाद होने पर सरकार के खिलाफ केस किया जाता है।

– पुरानी पेंशन वालों को रिटायरमेंट पर अंतिम वेतन के अनुसार 16.5 गुना राशि ग्रेच्युटि के रूप में मिलती है।

– पुरानी पेंशन वालों को ड्यूटी में मृत्यु पर डेथ ग्रेच्युटी मिलती है। 7वें वेतन आयोग के बाद यह राशि 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख कर दी गई है।

– पुरानी पेंशन व्यवस्था के तहत कर्मचारी की सेवाकाल में मौत होने पर परिजनों को पारिवारिक पेंशन मिलती है।

– पुराने पेंशन वालों को महंगाई भत्ता और वेतन आयोगों का भी लाभ मिलता है।

– पुरानी पेंशन वालों को GPF पर लोन की सुविधा मिलती है।

WhatsApp Image 2025-08-08 at 2.49.37 PM

– पुरानी पेंशन स्कीम में जीपीएफ की निकासी पर कोई इनकम टैक्स नहीं देना पड़ता है। है। फेडरेशन के पदा अधिकारियो ने बताया की अब तो नियंत्रक एवम महालेखाकार परीक्षक (कैग ) भी अपनी रिपोर्ट में हाल ही में एन पी एस की खामियां गिना चुका हे उल्लेखनीय हे की कैग संसद में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के अनुसार, एन पी एस के क्रियान्वयन 15 साल बाद भी ऐसा कोई पक्का नहीं है कि सभी नोडल कार्यालय और 100 प्रतिशत पात्र कर्मचारी एनएपीएस के दायरे में हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘स्थायी सेवानिवृत्ति खाता संख्या (पीआरएएन) जारी करने, एनपीएस योगदान में पहली कटौती, पीएओ (पे एंड एकाउंट कार्यालय) तक बिलों के पहुंचने, अंशधारकों के योगदान फाइल के अपलोड होने और ट्रस्टी बैंक को योगदान राशि भेजने में देरी पायी गयी है।’

 

कैग ने कहा कि ऑडिट के लिये उसने जो नमूने लिये, उसमें केंद्र सरकार/केंद्रीय स्वायत्त निकायों के 5.20 करोड़ रुपये और राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के डीडीओ (ड्राइंग एंड डिस्बरसमेंट ऑफिस) से 793.04 करोड़ रुपये एनपीएस से जुड़े नोडल कार्यालयों ने ट्रस्टी बैंकों को नहीं भेजे। योजना के बारे में कैग ने कहा कि 15 साल लागू होने के बाद भी सेवा शर्तों और सेवानिवृत्ति लाभ को लेकर नियमों को अंतिम रूप नहीं दिया गया है संघ के राष्ट्रिय अध्यक्ष डॉ अश्वनी कुमार और राष्ट्रिय प्रेस सचिव प्रेम शर्मा ने बताया कि

 

– GPF के लिए एक निश्चित ब्याज दर निर्धारित होती है। जबकी नई पैंशन योजना कर्मचारियों से छलावा हें जिस में कर्मचारियों के वेतन में से 10%की कटौती कर उसे बाजार में विभिन्न कंपनियां में लगाकर उन्हे निजी कम्पनियो के हवाले कर दिया जाता हें औऱ सेवानब्रित होने पर ना अपना पैसा पूरा मिल पता हें औऱ पैंशन के रूप केवल पंद्रह सौ व दों हजार प्राप्त होते हें उसमे एक आदमी कैसे गुजारा करेगा ये सब भलीभांति जानते हें ! संघ के अध्यक्ष डा अश्वनी कुमार ने पुरानी पैंशन कों तुरंत बहाल करने की माँग की हें ! उन्होने देशभर में विभिन्न अस्थाई रूप से नयुक्त सभी शिक्षकों कों नियमित करने औऱ उन्हे सभी प्रकार के सेवालाभ प्रदान करने की माँग की हें ! आल इण्डिया फैडरेशन आफ टीचर आर्गनाइजेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा अश्वनी कुमार ने शिक्षा से सम्बंधित नीतियो के निर्माण में अध्यापकों की भागेदारी सुनिश्चित करने की माँग की है ताकि अच्छी नीतियो का निर्माण हो सके औऱ उन नीतियो के संबंध में अध्यापकों की राय लेंने से उनके क्रियानिर्वहन में कोई समस्या नहीं होगी !

 

Deepika Sharma

Related Articles

Back to top button
Close