बड़ी खबर: शिक्षक संगठनों के चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए जारी फरमान से हड़कंप
वीरेंद्र चौहान ने उठाई आवाज..

शिक्षकों तथा कर्मचारी संगठनों के नेताओं के बारे जारी आदेश जिसमें प्रदेश अध्यक्षों को अधिकतम दो बार या 5 वर्ष तक ही अध्यक्ष बने रहना होगा। यह आदेश आलोकातांत्रिक असंवैधानिक तथा संगठनों के वैधानिक अधिकारों को छीनने का प्रयास है ही पर सर्वप्रिय नेताओं पर अंकुश लगाकर चापलूस नेताओं की फौज तैयार करने का निंदनीय प्रयास है। शिक्षकों तथा कर्मचारी संगठनों का अपना संविधान है। उनके अनुसार अध्यक्षों के चुनाव होते हैं। तथा यह नियम मंत्रियों, सांसदों विधायकों पर भी लागू होगा क्या?या ये कर्मचारी संगठनों तथा सर्वप्रिय नेताओं का दमन करने के लिए है।
राजकीय अध्यापक संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने इसे लेकर विरोध प्रकट किया है। उन्होंने
आज मुख्यमंत्री से भी आग्रह किया गया है कि वह अपने पराए को छोड़कर प्रताड़ित स्थानांतरित दूरदराज क्षेत्रों में भेजें शिक्षक तथा कर्मचारी नेताओं को आमंत्रित कर बातचीत कर चल रहे टकराव को समाप्त करें। और जो कि प्रदेश हित में है क्योंकि आप सभी के मुख्यमंत्री हैं। किसी जाति वर्ग पार्टी तथा किसी विशेष संगठन के नहीं हैं।आप प्रदेश के मुखिया है पहल करें।
वीरेंद्र चौहान का कहना है कि उन्हें अति उत्साहित अधिकारियों को भी सावधान करना है कि वह अपनी कार्यप्रणाली को सुधारें लोकतंत्र में सरकारी तथा कुर्सियां बदलती रहती है। कभी उनके साथ भी यह व्यवहार हो सकता है। वह शिक्षकों तथा कर्मचारी विरोधी व्यवहार तत्काल छोड़ दें जो कि उनके हित में रहेगा।



