रात के समय निर्धारित स्टॉपेज पर भी नहीं रुकती सरकारी लोकल बसें
कई बार आ चुकी है शिकायतें
घाटे में जा रहा एचआरटीसी, लेकिन स्टॉपेज पर बस रोकने के लिए कई सरकारी लोकल बसों के ड्राइवर्स के हमेशा हाथ खड़े दिखते हैं। ऐसा ही एक मामला 27 अप्रैल को शिमला के रेलवे स्टेशन स्टॉपेज पर देर शाम देखने में आया । जब सवारी ने सरकारी लोकल बस नंबर HP63A2545 को हाथ दिया तो उक्त बस के ड्राइवर ने बस नहीं रोकी जबकि बस में पर्याप्त जगह थी और कुछ ही सवारियां थीं । हैरानी यह है कि आखिर स्टॉपेज पर भी सरकारी बस के ड्राइवर बस क्यों नहीं रोकते ? उक्त बस पुराना बस स्टैंड जा रही थी और उस पर शिमला पुराना बुस्स्टैंड का बोर्ड भी लगा था । समय पर गौर करें तो 27 अप्रैल को रेलवे स्टेशन से शाम 8: 20 और 8:30 के बीच गुजरी जिस समय सवारी ने उक्त बस के ड्राइवर को हाथ दिया लेकिन ड्राईवर सवारी की अनदेखी करता हुआ निकल गया । यह एचआरटीसी की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़ा करता है, जहां शिमला लोकल चलने वाले सभी रूटों पर स्टॉपेज के अलावा भी सवारी होने पर रुकने के आदेश हैं जिन्हें अखबारों के माध्यम से भी प्रकाशित किया गया है ऐसे में विशेषकर रात के समय भी बस न रोकना एक अमानवीय व्यव्हार है । हालांकि दिन के समय कई विकल्प होते हैं और ट्रैफिक की समस्या भी होती है इसलिए यदि कोई बस कभी कबार न भी रुके तो समझा जा सकता है । हैरानी तो यह है कि इंसानियत के तौर पर भी देर रात एक बस ड्राइवर सवारी को गाड़ी आखिर क्यों नहीं रोकता ? ऐसा कौन सा दृष्टिकोण है जो खासकर सरकारी चालकों को सवारी के लिए मशीनी ब्रेक लगाने से रोकता है जो की एचआरटीसी का धर्म है और चालक का कर्तव्य है । यह निस्संदेह मनोविज्ञान का विषय है और प्रबंधकों द्वारा ऐसे चालकों का मनोचिकित्सक द्वारा परामर्श अति आवश्यक बनता है, विशेषकर यदि यह चालकों के अखड़पन, मादक पदार्थों का प्रभाव या निजी बस एवम टैक्सी ऑपरेटरों के साथ सांठगांठ का पर्याय न हो । सजग साधना सविनय सेवा कहीं यह एक व्यंग्य मात्र बन कर न रह जाए ।


