विविध

शिक्षा बोर्ड ने दिव्यांगों पर थोपी से मनमानी शर्तें हटाईं 

उमंग द्वारा राज्यपाल से शिकायत का असर: 

 

हिमाचल स्कूल शिक्षा बोर्ड की दिव्यांग विरोधी नीति की शिकायत उमंग फाउंडेशन द्वारा

राज्यपाल से करने के बाद बोर्ड ने दृष्टिबाधित एवं हाथ से लिखने में असमर्थ दिव्यांग विद्यार्थियों पर थोपी गई गैरकानूनी शर्तें हटा दी हैं। पहले बोर्ड ने केंद्र और राज्य सरकार के आदेशों को नकार कर मनमानी दिव्यांग नीति घोषित कर दी थी। हालांकि अभी भी उसमें अनेक गैर कानूनी प्रावधान शामिल हैं।

 

राज्य विकलांगता सलाहकार बोर्ड के विशेषज्ञ सदस्य एवं उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव ने बताया कि उन्होंने प्रदेश शिक्षा बोर्ड द्वारा विगत 4 फरवरी को जारी अधिसूचना पर कड़ी आपत्ति जताते  10 मार्च को राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर से शिकायत की थी। उन्होंने कहा था कि बोर्ड ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के अनुपालन में केंद्र और राज्य सरकार द्वारा जारी सख्त आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए दृष्टिबाधित एवं हाथ से लिखने में असमर्थ विद्यार्थियों पर मनमानी शर्तें थोप दी थीं।

 

उनका कहना था कि हाईकोर्ट के फैसले के मुताबिक हाथ से लिखने में असमर्थ परीक्षार्थियों के लिए शिक्षा बोर्ड को राइटरों का पैनल तैयार करना चाहिए था। बोर्ड यदि अपने पैनल से पात्र दिव्यांग परीक्षार्थियों को राइटर उपलब्ध कराए तो उस की शैक्षणिक योग्यता परीक्षार्थी से अधिक नहीं होनी चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता है तो परीक्षार्थी किसी भी शैक्षणिक योग्यता वाले व्यक्ति को परीक्षा में बतौर राइटर ला सकता है।

WhatsApp Image 2025-08-08 at 2.49.37 PM

 

शिक्षा बोर्ड ने 4 फरवरी को मनमाना फरमान जारी कर दिया कि राइटर को परीक्षार्थी से एक क्लास जूनियर हो। यही नहीं, वह परीक्षार्थी के स्कूल का ही होना चाहिए और परीक्षाओं के दौरान राइटर बदलने की अनुमति सिर्फ एक बार दी जाएगी।

 

राज्यपाल से प्रो. अजय श्रीवास्तव ने दृष्टिबाधित एवं अन्य दिव्यांग बच्चों को न्याय दिलाने का अनुरोध किया था। इसके बाद शिक्षा बोर्ड में हड़कंप मच गया और आनन-फानन में बैठक कर दिव्यांग नीति के गैर कानूनी प्रावधानों को हटा दिया गया। अब शिक्षा बोर्ड या स्कूल द्वारा परीक्षा में राइटर उपलब्ध न कराए जाने पर परीक्षार्थी किसी भी शैक्षणिक योग्यता वाले राइटर की मदद ले सकता है। राइटर को एक से अधिक बार बदलने की भी सुविधा रहेगी।

 

प्रो. अजय श्रीवास्तव ने कहां कि शिक्षा बोर्ड की दिव्यांग नीति में अभी भी अनेक गैर कानूनी प्रावधान मौजूद हैं। उन्होंने इसका ब्यौरा बोर्ड को भेज दिया है और कहा है कि दिव्यांग बच्चों को न्याय न मिलने पर वे हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करेंगे।

Deepika Sharma

Related Articles

Back to top button
Close