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धरना जारी: विश्वविद्यालय प्रशासन अभी तक चुप

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में गैर शिक्षक कर्मचारियों के विभिन्न संगठनो के चुने हुए पदाधिकारियों के महासंघ JCC पिछले तीन सप्ताह से आंदोलनरत है जिसके निरंतरता में आज दिनांक 11.03.2022 को भी JCC के आव्हान पर जेसीसी पदाधिकारियों ने राजेश ठाकुर की अध्यक्षता में तेज राम शर्मा, सुनील दत्त शर्मा, नरेश कुमार शर्मा, धर्म दास, देवेंदर कुमार, हेम राज भाटिया, रवि कान्त चौहान, मोहन लाल शर्मा, राज कुमारी, राम लाल, तथा अन्य चुने हुए पदाधिकारियों द्वारा विश्वविद्यालय में क्रमिक धरना जारी रहा जोकि 22वें दिन में प्रवेश कर गया है लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन पर अभी तक चुपी साधे हुए है तथा कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान के लिए गठित शिकायत निवारण समिति की बैठक की तिथि भी निर्धारित नहीं की गई है जिसके चलते दिन प्रतिदिन समस्त कर्मचारी समुदाय में आक्रोश बढता जा रहा है ।

 

JCC से संबन्धित सभी गैर शिक्षक कर्मचारी संगठनो के मांग पत्र एवं पत्राचारों में मुख्य मांग:-

 

सहायक कुलसचिव के 10 सृजित नए पदों को पूर्व निर्धारित भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के तहत ही पददोन्नति के माध्यम से भरे जाएं लेकिन यहाँ कुछ बाहरी तत्वों को लाभ पहुंचाने के लिए इसके भर्ती एवं पदोन्नति नियमों में छेड़खानी करने के कोशिश की जा रही तथा इन पदों को पदोन्नति से भर कर सीधी भर्ती से भरने का षड्यंत्र रचा जा कहा है जिसको विश्वविद्यालय गैर शिक्षक कर्मचारी वर्ग सहन नहीं करेगा।

 

विश्वविद्यालय में पिछले कुछ समय से आउट सोर्स के माध्यम से विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा backdoor entry की जा रही है वही दूसरी और स्वीकृत रिक्त पदों को विज्ञापित किया गया है जिसके तहत लाखों अभियार्थियों ने आवेदन कर रोजगार प्राप्त करने की उम्मीद लगाई हुई है।

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गैर शिक्षक कर्मचारियों के विभिन्न श्रेणियों/वर्गो में स्वीकृत रिक्त पदों को सीधी भर्ती के माध्यम से भरा जाना पिछले दो वर्षो से निरंतर विज्ञापित केवल कागज़ो तक ही सीमित रह गया है और चतुर्थ श्रेणी के तो बहुत से पद एसे है कि उन्हे केवल मेरिट के आधार पर ही भरा जाना है लेकिन विश्वविद्यालय कर्मचारी पर अतिरिक्त कार्य बोझ है इसके लिए प्रशासन गंभीर नहीं है वही एक तरफ तो गैर शिक्षक कर्मचारियों के विभिन्न श्रेणियों/वर्गो में स्वीकृत रिक्त पदों को सीधी भर्ती के माध्यम से भरे जाने के लिए पदों को विज्ञापित किया गया है वही दूसरी तरफ से आउट सोर्स के माध्यम से बंदर बाँट चली हुई है जिसका हम लिखित रूप से अंकुश लगाने कि गुहार प्रशासन करते आ रहे है ।

 

वर्ष 2019 के उपरांत आवास आबंटन समिति की बैठक न करवाकर प्रशासन अपनी मर्जी से ही अपने चहेतों को आवास आबंटित करता आ रहा है जिसके कारण पात्र कर्मचारियों को आवास से वंचित होना पड़ रहा है और अभी भी लगभग 10 गैर शिक्षक कर्मचारियों के आवास खाली पड़े हुए है जिसका वित्तीय नुकसान भी विश्वविद्यालय को हो रहा है । पात्रता रखने वाले कर्मचारियों को आवास आवंटन न होने कारण रोष व्यापत है।

 

ERP प्रणाली दो दुरुस्त करने के लिए हमने बार –बार प्रशासन को लिखित रूप से अवगत करवाया है लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है ।

 

चुने हुए प्रतिनिधियों को कर्मचारियों की मांग एवं भावनाओं को मध्यानजर रखते हुए प्रशासन को लिखित रूप में पत्र दिया जिसमें इन कर्मचारियों को विश्वविद्यालय परिसर में तैनाती की जाये।

 

जेसीसी द्वारा विश्वविद्यालय प्रशासन से मांग की जाती है कि प्रदेश सरकार द्वारा विश्वविद्यालय किए सहायता अनुदान की राशि में केवल 5% की बढ़ौतरी की गई है जो कि न के बराबर है क्योंकि प्रदेश सरकार अधिसूचित छठे वेतन आयोग को विश्वविद्यालय में लागू करने के लिए सहायता अनुदान में बढ़ौतरी की अत्यधिक आवश्यकता है इसलिए विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा प्रदेश सरकार से सहायता अनुदान की राशि को बढ़ाने हेतु मामला उठाया जाये। उन्होने विश्वविद्यालय शिक्षक वर्ग से भी आवाहन किया है कि सहायता अनुदान को बढ़ाने हेतु विश्वविद्यालय प्रशासन के समक्ष रखें।

 

जेसीसी का क्रमिक धरना यथावत जारी रहेगा जब तक कर्मचारी शिकायत निवारण समिति की बैठक में कोई निर्णायक हल नही निकलता ।

Deepika Sharma

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