
राजधानी शिमला के मालरोड पर स्थित इंडियन कॉफी हाउस आम आदमी से लेकर नेताओ के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। इसके संस्थापन् का इतिहास अति दिलचस्प हैं। इसको बनाने के कारण यह था कि स्वतंत्रता सेनानीयो को एक ऐसी जगह कि आवश्यकता थी जहाँ स्वतंत्रता सेनानी रणनीतिया बना सके। कहां यह भी जाता है कि इंडियन कॉफी हाउस शिमला के संस्थापकों ने इसे शुरू करने के लिए अपनी पत्नियों के आभूषण बेच दिए थे। साल 1957 में इसकी संस्थापना हुई थी अंग्रेजों के जमाने से ही इंडियन कॉफी हाउस सियासी चर्चाओ और सामाजिक चर्चाएं के लिए काफी मशहूर है।

असर टीम ने इंडियन कॉफी हाउस के मनैजर आत्मा राम शर्मा से बातचीत कि उन्होने कहां कि वह यहाँ 36 साल से काम कर रहे हैं ।और यहाँ कि कॉफी के दाने बंगलौर से लाए जाते हैं जिसे वह खुद भुनते हैं। बावर्ची सुबह 4 बजे उठ कर ताज़ा भोजन बनाते हैं फिर 8:30 बजे यह ग्राहक के लिए खुल जाता हैं। वेटर कि ड्रेस ओर साधारण भोजन यहाँ कि विशेषता है।

इंडियन कॉफी हाउस पर सुबह से लेकर शाम तक भीड़ लगी रहती है। लोगों को टेबल खाली होने के लिए कई बार कॉफी हाउस के बाहर इंतजार करना पड़ता है ।

परन्तु 2020 मे लगे लॉकडाउन के कारण इंडियन कॉफी हाउस पर भी बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा।आर्थिक रूप से उनको बहुत नुकसान हुआ हैं जिसकी भरपाई अभी तक नहीं हुई है। 18 मई को एक लंम्बे अंतराल के बाद इंडियन कॉफी हाउस खोल दिए गया था ग्राहको कि संख्या अभी भी यहाँ कम दिखाइ देती हैं।
मनैजर आत्मा राम ने बतया कि उन्हे वेतन देने के लिए भी काफी संघर्ष करना पड़ रहा हैं। सरकार से भी उन्हे कोई मदद नहीं मिली हैं वह सिर्फ आगामी दिनों में परिस्थिति साधारण होने कि उम्मीद कर रहे हैं।
असर टीम से शीतल की रिपोर्ट




