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बड़ी खबर: एचआरटीसी संगठन का पलटवार — निजी बस ऑपरेटरों की हड़ताल धमकी तथ्यहीन, जनता के साथ अन्याय

एचआरटीसी संगठन  पलटवार किया है —उनका मानना है कि निजी बस ऑपरेटरों की हड़ताल धमकी तथ्यहीन, है जनता के साथ अन्याय है

हिमाचल परिवहन कर्मचारी संघ इंटक, परिवहन मजदूर संघ, एटक, सर्व कर्मचारी यूनियन, तकनीकी कर्मचारी, चालक- परिचालक, एवं निरीक्षक स्टाफ संगठन के पदाधिकारी  समर चौहान, जिया लाल, प्यार सिंह, हरीश पराशर, ऋषि लाल, संजय बड़वाल, खेमेन्द्र गुप्ता, हितेन्द्र कंवर, खेम चंद, हरि कृष्ण, केशव वर्मा, हरि लाल, बाल कृष्ण, सुंदरलाल ने संयुक्त बयान में कहा है कि शिमला शहर के निजी बस ऑपरेटर चालक परिचालक संघ द्वारा एचआरटीसी को बेवजह निशाना बनाकर दी गई अनुचित हड़ताल की धमकी पूर्णतः तथ्यों के विपरीत है, जिसकी कड़े शब्दों में निंदा की जाती हैं।

एचआरटीसी की सभी बसें जन मांग (Public Demand) के आधार पर संचालित होती हैं।
निजी बस ऑपरेटरों की यह मांग कि 40 किलोमीटर से अधिक दूरी तय करने वाली बसों को शिमला शहर में प्रवेश न दिया जाए, पूर्णतः अनुचित और अव्यवहारिक है।

ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले हज़ारों लोग — जो लगभग 42, 44 या 45 किलोमीटर दूरस्थ इलाकों से रोज़गार, व्यापार, सब्ज़ी-दूध की आपूर्ति या चिकित्सकीय आवश्यकताओं के लिए शिमला आते हैं — वे एचआरटीसी की बसों पर निर्भर हैं।
उन्हें शहर के मुख्य बस अड्डे से 3 किलोमीटर पहले उतार देना केवल इसलिए कि वे आगे की यात्रा के लिए निजी बस में ₹10 अतिरिक्त किराया दें — यह न केवल गरीब जनता के साथ अन्याय है, बल्कि निजी ऑपरेटरों के मुनाफे के लिए जनता का शोषण भी है।

एचआरटीसी एक जनसेवा संस्था है, जो समाज की लगभग 27 श्रेणियों को मुफ़्त या रियायती यात्रा सुविधा प्रदान करती है।
इसी प्रकार एचआरटीसी की स्कूल बसें भी सरकार के निर्देशानुसार शिक्षा को बढ़ावा देने और छात्रों को सस्ती परिवहन सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से चलाई जाती हैं — जबकि निजी बस ऑपरेटर केवल लाभ अर्जन के उद्देश्य से संचालन करते हैं।

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निजी बस ऑपरेटर चालक परिचालक संघ को यह मालूम होना चाहिए कि वर्ष 1949 से HGT के रूप में एवं वर्ष 1974 से HRTC के रूप में निरंतर 77 वर्षों से देश व प्रदेश के लोगों को सुचारू परिवहन व्यवस्था उपलब्ध करवा रहे हैं। निजी ऑपरेटर केवल अपने लाभ के लिए एचआरटीसी को हर मोड़ पर नुकसान ही पहुंचाना चाहते हैं। निजी बस ऑपरेटर चालक परिचालक संघ का यह कहना बिल्कुल ही आधारहीन है कि शिमला शहर में जाम सिर्फ और सिर्फ एचआरटीसी की बसों द्वारा ही लगाया जाता है जबकि सच्चाई यह है कि शिमला शहर में अधिकतर जाम निजी बसों द्वारा ही लगाया जाता है जिसकी सच्चाई शिमला शहर में जगह-जगह लगे सीसीटीवी कैमरों से एकत्रित की जा सकती है। यहां यह भी स्पष्ट करना चाहते हैं कि शिमला शहर का ट्रैफिक प्लान कैसा हो क्या शिमला शहर में चल रही 50-60 निजी बसों के चालक परिचालक तय करेंगे?

निजी बस ऑपरेटर चालक परिचालक संघ का यह भी आरोप बेबुनियाद है कि एचआरटीसी की बसें अनाधिकृत रूप से चल रही है जबकि सच्चाई यह है कि एचआरटीसी के वर्तमान में शिमला शहर में लगभग 400 रूट (ट्रिप) बसों एवं स्टाफ की कमी के कारण बंद पड़े हैं। एचआरटीसी प्रदेश सरकार का एक विंग है जिसे सरकार द्वारा देश व प्रदेश की सुविधा के लिए संचालित किया जाता है, जिसमें जो भी कार्य होता है वह कानून के अनुसार ही किया जा सकता है जिसका लेखा-जोखा हमेशा उपलब्ध रहता है और समय-समय पर सरकार की विभिन्न एजेंसियों द्वारा उसकी जांच पड़ताल की जाती रहती है। जबकि सच्चाई यह है कि निजी बस ऑपरेटर धड़ल्ले से बसों का अवैध संचालन करते हैं। यदि पूरी सच्चाई पता लगाई जाए की कौन गलत तरीके से संचालन कर रहा है तो किसी स्वतंत्र एजेंसी से इसकी जांच करवाई जानी चाहिए ताकि सच्चाई सामने आ सके।

यदि एचआरटीसी प्रबंधन या जिला प्रशासन द्वारा निजी बस ऑपरेटर चालक परिचालक संघ के दबाव में आकर शिमला शहर में वर्तमान में एचआरटीसी द्वारा संचालित बसों के संचालन में किसी प्रकार का कोई फेरबदल किया जाता है तो एचआरटीसी का प्रत्येक कर्मचारी उसका विरोध करेगा एवं हड़ताल जैसे कठोर कदम उठाने से भी गुरेज नहीं करेगा, जिससे होने वाली किसी भी प्रकार की हानि के लिए जिला प्रशासन एवं प्रबंधन जिम्मेदार होंगे।

 

Deepika Sharma

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