शिमला के चौड़ा मैदान में हड़ताल पर बैठे वोकेश्नल अध्यापकों से सरकार करे बातचीत।
बैठक कर नतीजा निकाले सरकार

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हिमाचल के वोकेश्नल टीचर 7 दिन से शिमला में हड़ताल पर है। इससे 1100 से ज्यादा सरकारी स्कूलों में 80 हजार से ज्यादा छात्रों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। फिर भी सरकार इन्हें वार्ता को नहीं बुला रही। वहीं वोकेश्नल टीचर सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों को बाहर नहीं करने तक हड़ताल पर डटे रहने की चेतावनी दे चुके हैं।
हिमाचल के वोकेश्नल टीचर 5 दिन से शिमला में हड़ताल पर है ।हड़ताल पर गए वोकेश्नल टीचर हरियाणा की तर्ज पर उनकी सेवाएं विभाग के अधीन लाने की मांग कर रहे हैं। इनका आरोप है कि कंपनियां 10-11 सालों से उनका शोषण कर रही है। सरकार को भी उन्हें कमीशन के रूप में मोटी रकम देनी पड़ रही है। हरियाणा सरकार पहले ही इनकी सेवाओं को विभाग के अधीन ला चुका है। अब हिमाचल में भी यही मांग उठ रही है।
वोकेश्नल टीचर शिमला के चौड़ा मैदान में खुले आसमान के नीचे सात दिन से हड़ताल पर बैठे है। इनमें कई महिला टीचर ऐसी है जिनके साथ उनके छोटे छोटे बच्चे भी चौड़ा मैदान में मौजूद है। ऐसे में इन्हें खासकर रात के वक्त परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कुछ टीचरों की तबीयत भी बिगड़ने लगी रही है, क्योंकि रात में तापमान काफी नीचे गिर जाता है।
छोटे-छोटे बच्चों के साथ हड़ताल पर महिला टीचर भी शामिल है। महिलाएं छोटे-छोटे बच्चों के साथ हड़ताल पर डटी हुई है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि सर्विस प्रोवाइडर कंपनी को बाहर किया जाएगा।
इससे सरकार पर एक रुपए का भी वित्तीय बोझ पड़ने वाला नहीं है। फिर भी अब तक सरकार ने उन्हें वार्ता को नहीं बुलाया। इससे वोकेश्नल टीचरों में सरकार के प्रति रोष पनपता जा रहा है। उन्होंने बताया कि जब तक कंपनियों को बाहर नहीं किया जाता तब तक टीचर काम पर नहीं लौटेंगे। वह आर पार की लड़ाई को तैयार है।
2174 वोकेशनल टीचर 7 दिन से शिमला के चौड़ा मैदान में हड़ताल पर बैठे हैं। प्रदेश के सरकारी हाई और सेकेंडरी स्कूलों में साल 2013 से वोकेश्नल सब्जेक्ट 9वीं से 12वीं कक्षा तक के छात्र-छात्राओं को पढ़ाया जा रहा है। इन पाठ्यक्रमों में 80 हजार से ज्यादा छात्र पंजीकृत है। इसके लिए शिक्षा विभाग ने एक-दो नहीं बल्कि पूरी 17 कंपनियां पंजीकृत कर रखी है।
सरकारी स्कूलों में वोकेशनल टीचर केंद्र सरकार की स्कूलों में दक्ष कामगार तैयार करने की योजना के तहत रखे गए हैं। इनमें 90 प्रतिशत बजट केंद्र और 10 फीसदी बजट राज्य सरकार देती है ।
अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के पूर्व प्रान्त महामंत्री डॉ मामराज पुंडीर ने सरकार से अपनी हठ छोड़ कर शिक्षकों से वार्तालाप करनी चाहिए। यह अध्यापक हिमाचल प्रदेश के ही है सरकार से वार्ता की मांग कर रहे हैं। परन्तु सरकार क्यो हठ कर रही है, समझ से परे है।
हैरान करने वाली बात है कि प्रदेश में एक पत्थर उठाये तो कर्मचारी नेताओ की भीड़ लग जाती है। परन्तु जब किसी अध्यापक के हक़ की बात आती है तो सभी कर्मचारी संगठन बिल में घुस जाते है और सरकार की चमचागिरी करने लग जाते है। डॉ पुंडीर ने कहा कि प्रदेश के स्कूलों में विद्यार्थियों को जो नुकसान हो रहा है उसकी भरपाई कैसे होगी। सरकार के मंत्री को अपनी हठ छोड़ कर शिक्षकों से वार्तालाप कर लेनी चाहिए। धरने पर बैठे एक शिक्षक साथी के 17 दिन के बच्चे का देहांत होना दुखदाई है। हम उनके परिवार के प्रति अपनी सवेदना व्यक्त करते है।




