सम्पादकीय

असर संपादकीय: विदुर नीति (4) विदुर की दो बातें

रिटायर्ड मेजर जनरल एके शौरी की कलम से

 

रिटायर्ड मेजर जनरल एके शौरी 

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विदुर नीति इतनी साधन संपन्न, ज्ञानवर्धक और बुद्धिमत्ता से भरपूर है कि जितना अधिक हम इसके बारे में पढ़ते हैं, उतना ही हम इसके कई अलग-अलग आयामों से अवगत होते जाते हैं। विदुर हमें कई बातों और विचारों के बारे में बताते हैं और इस श्रृंखला में मैं एक-एक करके उन सभी का उल्लेख करूंगा। विदुर कहते हैं कि जो व्यक्ति कई लोगों के साथ सोते हुए भी स्वंय जागता रहता है, जो व्यक्ति अकेले ही भोजन करता है और स्वादिष्ट भोजन का आनंद भी अकेले ही लेता है, जो व्यक्ति किसी और से सलाह किए बिना अकेले ही निर्णय लेता है और जो व्यक्ति अकेले यात्रा या रास्ते पर जाता है; ऐसा मानव सदैव घाटे में रहते हैं। जो व्यक्ति सदैव दूसरों को क्षमा करता है उसमें एक दोष के अलावा और कोई दोष नहीं होता और वह यह कि लोग उसे कायर व्यक्ति समझने लगते हैं। लेकिन फिर भी हमें इस गुण को कोई कमी नहीं मानना चाहिए क्योंकि दूसरों को क्षमा करना एक दुर्लभ गुण है जो वास्तव में प्रशंसनीय है। जो व्यक्ति स्वयं बहुत कमजोर है लेकिन जल्दी क्रोधित हो जाता है या हम कह सकते हैं कि क्रोधी है और जो व्यक्ति बहुत गरीब है लेकिन हमेशा मूल्यवान चीजें पाने का सपना देखता है – ये दोनों एक काँटे की तरह हैं जो व्यक्ति के शरीर को ही घायल कर रहे हैं। एक संन्यासी जो हमेशा बुरे कामों की योजना और साजिश रचता रहता है और एक विवाहित व्यक्ति जो अपने परिवार के प्रति अपने कर्तव्यों की अनदेखी करता है, दोनों को उनके उल्टे कार्यों के कारण कभी कोई सम्मान नहीं मिलता है। विदुर ने आगे कहा कि समाज में दो तरह के लोग होते हैं, एक जो बहुत शक्तिशाली होते हैं लेकिन कमजोरों को माफ करना जानते हैं और दूसरे जो खुद बहुत गरीब होते हैं लेकिन अपने पास जो कुछ भी होता है उसे किसी जरूरतमंद के साथ साझा करने से नहीं हिचकिचाते। – इन दोनों प्रकार के लोगों का समाज में हमेशा आदर और सम्मान किया जाता है। जो धन पूरी मेहनत और ईमानदारी से कमाया जाता है उसमें केवल दो ही कमियां होती हैं, एक तो यह कि वह योग्य लोगों के साथ साझा नहीं किया जाता है और अयोग्य लोगों के साथ साझा किया जाता है। विदुर ने दो और तरह के लोगों के बारे में कड़वाहट से जिक्र किया है, एक अमीर और धनवान जो गरीबों और जरूरतमंदों के समर्थन में कभी खुलकर सामने नहीं आते हैं और दूसरे गरीब आदमी जो अपने जीवन में परेशानियों को बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं।
अब आइए इनका विश्लेषण करने का प्रयास करें। एक यूनानी दार्शनिक का प्रसिद्ध उद्धरण जिसमें कहा गया है कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, इसका मतलब है कि उसे समाज के साथ रहना होगा और समाज के मानदंडों का पालन भी करना होगा। कोई भी समाज हर समय मनुष्यों से अपेक्षा करता है कि वे एक सभ्य नैतिक जीवन शैली अपनाएं, वे काम करें जो एक के साथ-साथ दूसरे के लिए भी सही हों और दूसरों के साथ एक सही जीवन शैली अपनाएं। धन कमाना और विलासिता पूर्ण जीवन जीना हर किसी का सपना होता है और हर कोई अपने जीवन में इसके अनुसार प्रयास भी करता है लेकिन साथ ही दूसरों का शोषण न करना और साथियों की देखभाल करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। क्षमता और उत्कृष्टता का मूल्य तभी है जब वह वंचितों के कल्याण और देखभाल के लिए हो। क्या हमारे समाज में ऐसा हो रहा है? क्या हम अपने दैनिक जीवन में तदनुसार व्यवहार कर रहे हैं? विदुर द्वारा उठाए गए मुद्दों और प्रश्नों पर हमें वास्तविक परिप्रेक्ष्य में विचार करने की आवश्यकता है। हम ऐसा नहीं कर सकते, यह व्यवहारिक रूप से संभव नहीं है, ऐसे बहानों से बचना जरूरी है।

Deepika Sharma

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