
रिटायर्ड मेजर जनरल एके शौरी
भर्तहरि के ज्ञान सूत्र
कर्म (14)
भर्तहरि अपने सूत्र की निरंतरता में मानव जीवन में कर्म की भूमिका के बारे में बात करते हैं। किसी के जीवन में अच्छे कर्मों की भूमिका और महत्व के बारे में हर कोई जानता है। यह सत्य है कि हम अपने जीवन में जो कुछ भी करते हैं उसका परिणाम हमारे कर्मों का प्रत्यक्ष परिणाम होता है। वैसे तो लोग भाग्य पर विश्वास करते हैं लेकिन यह सच है कि कुछ भी हासिल करने के लिए उचित कर्म करना पड़ता है और वह भी पूरी लगन, ईमानदारी और जोश के साथ। हमारी नियति में क्या लिखा है यह कोई नहीं जानता और नियति पर भी कुछ नहीं छोड़ा जा सकता। भाग्य भी हमारे कर्मों की गुणवत्ता के अनुसार ही कार्य और प्रतिक्रिया करेगा।
इसलिए किसी के जीवन में कर्म की भूमिका और महत्व के बारे में उनका कहना है कि हर इंसान के जीवन में कर्म की भूमिका इतनी बड़ी है कि इसे किसी अधिक परिचय की आवश्यकता नहीं है। हालाँकि देवता पूजनीय हैं और उनकी पूजा की जानी चाहिए, लेकिन वे भी सीमित परिणाम ही दे सकते हैं जो हमारे अपने कर्मों पर आधारित होते हैं। जब किए गए कार्यों के परिणाम हमारे कर्मों और कर्मों के परिणाम पर आधारित होते हैं तो इन देवताओं और बड़े-बड़े देवी-देवताओं का औचित्य और भूमिका क्या है? कर्म इतने सम्मानजनक हैं और वास्तव में पूजनीय हैं और कर्मों को नमन करना चाहिए। एक बुद्धिमान व्यक्ति को कोई भी कार्य या कार्य करने से पहले अपने प्रत्येक कार्य के फायदे और नुकसान की गणना करनी चाहिए। उसे परिणामों के साथ-साथ अपने कार्यों के गुण-दोषों का भी ध्यान रखना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति जल्दबाजी में कोई कार्य करता है और उसने अपने कार्यों का विश्लेषण नहीं किया है, तो परिणाम उसके लिए विनाशकारी हो सकते हैं। इसलिए यह केवल व केवल कर्म ही नहीं है बल्कि इसके पहले विविध गतिविधियां, विचार प्रक्रिया, सावधानीपूर्वक योजना बनाना भी बहुत महत्वपूर्ण है। यदि ऐसा नहीं किया गया तो इसके विनाशकारी परिणाम व्यक्ति को जीवन भर कष्ट देते रहेंगे।
जो व्यक्ति धरती पर जन्म लेने के बाद ईमानदारी से परिश्रम नहीं करता वह उस व्यक्ति के समान है जो चंदन की लकड़ी को जलाकर लहसुन में पका हुआ मांसाहार खा रहा है। न तो रंग और न ही लक्षण किसी को कोई फल देते हैं, न परिवार और न ही वंशानुगत लक्षण ही कोई फल देते हैं, न तो शिक्षा ही काम आती है और न ही पूरे मन से की गई सेवा ही काम आती है। मनुष्य द्वारा किये गये कर्म ही उसकी सहायता और सुविधा प्रदान करते हैं। यदि कोई गहरे जंगल में फंस गया है, यदि कोई गहरे समुद्र में, भीषण आग या बाढ़ में फंस गया है, यदि कोई बर्फ से ढकी पहाड़ी की चोटी पर फंस गया है, यदि कोई गहरी नींद में है या बहुत नशे में है, तो यह उसके अच्छे कर्म उसके बचाव में आते हैं।




