मोहिनी अवतार : शक्ति और काम के नशे में चूर भस्मासुर अपने ही वरदान से हुआ भस्म
सुदर्शन चक्र से राहू केतु के रूप में अमर हुआ स्वरभानु दैत्य

भाग चार
मोहिनी अवतार
मोहिनी हिन्दू भगवान विष्णु का एकमात्र स्त्री अवतार है। इसमें उन्हें ऐसे स्त्री रूप में दिखाया गया है जो सभी को मोहित कर ले। उसके मोह में वशीभूत होकर कोई भी सब भूल जाता है, इस अवतार का उल्लेख महाभारत में भी आता है। समुद्र मंथन के समय जब देवताओं व असुरों को सागर से अमृत मिल चुका था, तब देवताओं को यह डर था कि असुर कहीं अमृत पीकर अमर न हो जायें। तब वे भगवान विष्णु के पास गये व प्रार्थना की कि ऐसा होने से रोकें। तब भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लेकर अमृत देवताओं को पिलाया व असुरों को मोहित कर अमर होने से रोका।
मोहिनी अवतार और भस्मासुर
भस्मासुर पौराणिक कथाओं में ऐसा दैत्य था जिसने भगवान शिव से वरदान माँगा था कि वो जिसके सिर पर हाथ रखेगा, वह भस्म हो जाएगा। कथा के अनुसार भस्मासुर ने इस शक्ति का गलत प्रयोग शुरू किया और स्वयं शिव जी को भस्म करने चला। शिव जी ने विष्णु जी से सहायता माँगी। विष्णु जी ने एक सुन्दर स्त्री का रूप धारण किया, भस्मासुर को आकर्षित किया और नृत्य के लिए प्रेरित किया। नृत्य करते समय भस्मासुर विष्णु जी की ही तरह नृत्य करने लगा और उचित मौका देखकर विष्णु जी ने अपने सिर पर हाथ रखा, जिसकी नकल शक्ति और काम के नशे में चूर भस्मासुर ने भी की। भस्मासुर अपने ही वरदान से भस्म हो गया।
समुद्र मंथन और मोहिनी अवतार
समुद्र मंथन के दौरान अंतिम रत्न अमृत कलश लेकर भगवान विष्णु धन्वन्तरी रूप में प्रकट हुए। असुर भगवान धन्वन्तरी से अमृत कलश लेकर भाग गए तो विष्णु जी ने एक नारी का रूप लिया वे बहुत सुन्दर थी उस नारी का नाम मोहिनी हुआ । मोहिनी ने असुरों से अमृत लिया और देवताओं के पास गईं। उन्होंने असुरों को अपनी ओर मोहित कर लिया और देवताओं को अमृत पिलाने लगीं। मोहिनी रूपी विष्णु जी की चाल स्वरभानु नाम का दानव समझ गया और वह देवता का भेस लेकर अमृत पीने चला गया। मोहिनी को जब ये बात पता चली तो उन्होंने स्वरभानु का सिर सुदर्शन चक्र से काट दिया किंतु तब तक उसके गले से अमृत की घूंट नीचे चली गई और वह अमर हो गया और राहू के नाम से उसका सिर और केतु के नाम से उसका धड़ प्रसिद्ध हुआ।