रिश्तेदारों का ताना बाना*
समाज में हर तरह के लोग रहते है, कोई अमीर तो कोई गरीब। दोनों वर्गों की सोच रहन सहन भी अलग अलग होता है। लेकिन एक बात है जो समान होती है वह है हमारे आपके हम सबके प्यारे रिश्तेदार । जी हां बिल्कुल, यह रिश्तेदार दूर के भी हो सकते है ओर पास के भी हो सकते है। हम पास के रिश्तेदारों से कुछ ज्यादा ही उम्मीदें लगा लेते है और जब वो उम्मीदें पूरी नहीं होती फिर शुरू होता है रिश्तों का ताना बाना। कभी रिश्तेदारों में नोक झोंक तो कभी बेशूमार प्यार देखने को मिलता है।
यह वो ही रिश्तेदार हैं जिन्हे आप अगर गलती से भी शादी या अन्य किसी कार्यक्रम में बुलाना भूल जाते है तो यह अपनी लम्बी सी नाक गुस्से में लाल कर देते है। फिर क्या तानों की शिकायतों की लंबी सी लाइन लग जाती हैं जनाब। खैर है तो आखिर रिश्तेदार ही।
रिश्तेदारों में नोक झोंक तो मानों आम सी बात है।
लेकिन जब कभी रिश्तेदारों में टकरार हो जाए यानि कहा सूनी हो जाए तो एह रिश्तेदारी कई बार दुश्मनी में बदने में देरी नही लगती। सच बोलूं तो रिश्तेदारी बन तो जाती हैं लेकिन निभाने में बड़ी मुश्किलें आती हैं।
लेकिन बुरा तो तब लगता है जब कुछ रिश्तेदार अपने पन का झूठा खेल खेलते हैं। आपके सामने तो आपकी ही अच्छाइयों के पुल बाधते हैं और पीठ पीछे बुराइयां। ऐसे रिश्तेदारों से तो भगवान ही बचाएं।लेकिन कुछ रिश्तेदार ऐसे भी होते है जो कहते तो है हम तो आपके नजदीक के रिश्तेदार ठहरे। कभी भी कोई काम हो कोई जरूरत हो तो हमे जरूर जरूर बताएं। हम आपके काम नहीं आएंगे तो और कौन आएगा। लेकिन अंदर ही अंदर यह डर लग रहा है कहीं सच में कोई मदद ना मांग ले। कहीं सच में पैसो की ही सहायता मांग ली तो कहा से दूंगा। अब जुबान भी दे दी मना भी नही कर सकता।
ऐसा भी नहीं है की हर रिश्तेदार अनदेखा ही करे कई बार कुछ रिश्तेदार मदद के लिए नहीं बल्कि इंसानियत के नाते भी आगे आते है लेकिन थोड़ा कम ।
वैसे भी अब लोगों में अच्छाई कम हो गई है। अरे हो भी क्यू ना अब महंगाई भी तो बढ़ गई है । महंगाई और रिश्तेदारों में भी बड़ा गहरा नाता हैं। अगर आपको किसी रिश्तेदार की शादी में जाना है अब खाली हाथ तो जा नही सकते तोहफा तो देना ही पड़ेगा। अब मजेदार बात यह है कि तोहफा देने से पहले यह देखा जाता है हमारे घर की शादी में इन्होंने कितना महंगा या सस्ता तोहफा दिया था। बस उसी हिसाब से तोहफा दिया जाता है। अगर गलती से महंगा तोहफा आ गया तो हाथ पांव फूल जाते है इतना मंहगा गिफ्ट है इसके बदले में तो अच्छा सा ही तोहफा देना पड़ेगा।
कुछ रिश्तेदार तो होती ही इतने मजेदार है की जो गिफ्ट उन्हें किसी ने दिया है उसे ही आगे से आगे भिजवाते रहते है। अजी हम भारतीयों को अपने रिश्तेदारों से इतनात प्यार यू ही थोड़ी ना हैं।
कई बार परिस्थितियां ऐसी भी बन जाती हैं कि रिश्तेदारों को बाजार में अनदेखा करना पड़ता है। कुछ यू नजरंदाज करना पड़ता है जैसे मानो सामने वाले को पता ही ना चले की आंखे चार हुई या नहीं।
जनाब अब यह बात यहां खत्म नहीं होगी। अभी तो यह बड़ेगी फिर आस पास के रिश्तेदारों के पास सीधा उड़ती हुई जाएगी। बातों ही बातों में कहा जाएगा अरे कौन वो उसे तो मेने कल परसों ही बाजार में देखा था। ऐसे नजरे चुराई या यू कहो देख के भी अनदेखा सा कर दिया। पता नहीं क्या समझती हैं अपने आप को अगली बार मिलेंगी फिर पूछेंगे। इस तरह के भी रिश्तेदार होते है हमारे यहां। ऐसा भी नहीं है कि हर रिश्तेदार एक जैसे हो कई रिश्तेदार दूर से भी आवाज़ दे कर रोक ही लेते हैं।
फिर कभी कोई मुशीबत आ जाए और अब समझ में ना आए कि किस से मदद ले और किस से नहीं। यकिन मानिए आप जिस भी रिश्तेदार को चुनते है ना सहायता के लिए वो आपकी उम्मीद पर सही तरह से उतर ही नहीं पाता। लेकिन मज़ेदार बात तो यह है कि वो एक मदद अब जिंदगी भर आपको रिश्तेदारों को सुनाई जाएगी। सच बता रही हूं हो सकता है आपको जिंदगी भर सुननी पड़े। तभी तो कहते हैं कभी किसी रिश्तेदार का एहसान मत लेना। वरना जिंदगी भर उस एहसान के कर्ज के निचे दबते रहोगे।
वैसे रिश्तेदार कुछ अच्छे कुछ बुरे दोनों तरह के होते है। कुछ मुसीबत में काम आते है तो कुछ मुसीबत में डाल कर चले जाते है, पर क्या करें है तो आखिर रिश्तेदार ही। हमारा यह समाज कुछ इस तरह के रिश्तेदारों के तानेबाने से बना हैं।