पर्यावरण

असर विशेष: वो बनाती है घर पर कई तरह के “साबुन”

अर्की की सुभद्रा लोगों को दे रही संदेश: रासायनिक पदार्थ का ना करें इस्तेमाल

अब प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल न करके किया जा रहा है रासायनिक संसाधन का  इस्तेमाल

 

 

 

आज की युवा पीढ़ी अपने  जल्दी परीणाम लेने के चक्कर में ज्यादा से ज्यादा रासायनिक चीजों‌ का इस्तेमाल‌‌ कर रही है। अरकी के रहने वाली‌ सुभद्रा जो कि प्राक्रतिक संसाधनों‌ का इस्तेमाल करके 

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घर बैठे लोगों‌ के लिए कई तरह के साबुन बनाती है। उनसे बात‌ कर उनहोंने बताया‌ की वह एलोवेरा, हलदी, मुलतानी मिट्टी के साबुन बनाती है जो कि लोगों के लिए बहुत गुणकारी है। उन्होंने बताया कि एलोवेरा से मुहं में जितने‌ भी काले दाग है वह दूर हो जाते हैं, हलदी से मुहं‌ की झुर्रियाँ भी खत्म हो जाती हैं, मुलतानी मिट्टी से मुहं‌ में निखार आता है। 

उन्होंने बताया कि आजकल लोग अपने शरीर को जल्द ठीक करने‌ के लिए रासायनिक चीजों का इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन जो प्राक्रतिक चीजे है वह किसी भी बीमारी को खत्म करने में समय तो‌ लेता है मगर वह इस बीमारी को जड़ से खत्म कर देती हैं। पहले उन्हें इन सभी चीजों के बारे‌ में पता नहीं था‌ लेकिन मीटिंग में जाने के उनहे प्राक्रतिक संसाधनों के फायदे के बारे में बताया गया। उसके बाद उन्होंने घर बैठे ही हर‌ तरह के साबुन बनाना शुरू कर दिया। उनहोंने बताया कि इससे लोगों को भी बहुत फायदा मिला है। इसी के साथ वह और चीजों की भी खेती करते हैं। उनहोंने बताया कि उनके द्वारा जिस भी फसल की खेती होती है उसमें एक फसल का प्रसारण दूरदर्शन पर भी हुआ है। और बीते  कल उनका प्रसारण फिर से उनके द्वारा लगाई गई फसल सफेद बाथू पर था

। उन्होंने जनता से कहा है कि यदि वह अपने शरीर को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो रासायनिक संसाधनों का कम इसतेमाल कर प्राक्रतिक संसाधनों का अधिक इसतेमाल करे। 

 

असर विशेष से

गरिमा शर्मा की रिपोर्ट

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