यदि बरसात के मौसम में किसी व्यक्ति को तेज बुखार हो, तो उसका कारण स्क्रब टाईफस भी हो सकता है | यह रोग एक जीवाणू विशेष (रिकेटशिया) से संक्रमित पिस्सू (माईट) के काटने से फैलता है, जो खेतों झाड़ियों व घास में रहने वाले चूहों में पनपता है | यह जीवाणू चमड़ी के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है और स्क्रब टाईफस बुखार पैदा करता है | यह जानकारी देते हुए निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं हिमाचल प्रदेश डॉ. गोपाल बेरी ने बताया कि स्क्रब टाईफस मौसमी जुनेटिक बीमारी है, जिसमें मरीज को तेज बुखार जो कि 104 से 105 डिग्री तक हो सकता है | जोड़ों में दर्द व कंपकंपी के साथ बुखार आता है | शरीर में ऐंठन, अकड़न या शरीर टूटा हुआ सा महसूस होता है | अधिक संक्रमण में गर्दन, बाजू के नीचे और कूल्हों के ऊपर गिल्टियाँ हो जाती हैं |
उन्होंने आगे जानकारी देते हुए बताया कि खेतों व झाड़ियों में काम करते समय पूरा शरीर खासकर टांगे,पांव व बाजू ढक कर रखें | शरीर की सफाई का विशेष ध्यान रखें | घर तथा आसपास के वातावरण को साफ रखें | घर के चारों तरफ घास खरपतवार न उगने दें | घर के अंदर व आसपास कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करें | पालतू जानवरों की साफ-सफाई का नियमित रूप से ध्यान रखें |
यह रोग एक एक आदमी से दूसरे को नहीं फैलता है | स्क्रब टाईफस का इलाज संभव है | बुखार कैसा भी हो नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में संपर्क करें डॉक्टरी परामर्श के बगैर किसी भी दवा का सेवन ना करें | स्क्रब टाईफस की जांच व उपचार सभी जिला अस्पतालों तथा मेडिकल कॉलेज में निःशुल्क किया जाता है |
निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं ने वर्तमान परिप्रेक्ष्य में प्रदेश के सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों व वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षकों को दवाइयों के समुचित भंडारण को सुनिश्चित करने के लिए कहा है | स्क्रब टायफस की रोकथाम व उपचार के लिए उपयुक्त प्रबंधन के साथ सूचना, शिक्षा एवं संप्रेषण गतिविधियों को व्यापक रूप से संचालित करने के लिए भी कहा गया है |