इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग कई वर्षों से चिकित्सकों की सीनियारिटी लिस्ट बनाने में असमर्थ रहा है। वहीं दूसरी ओर सीनियोरिटी लिस्ट न बनने पर कई खंड चिकित्सा अधिकारियों,ज्वाइंट डायरेक्टरों, डिप्टी डायरेक्टरों और डायरेक्टर ऑफ हेल्थ सर्विसेज की रेगुलर नियुक्तियां नहीं हो पाई हैं। एक चिकित्सक 25 से 30 साल कार्य करने के बाद खंड चिकित्सा अधिकारी बनता है और हमारे खंड चिकित्सा अधिकारियों के पद 100 से भी कम है। इस संदर्भ में चिकित्सकों का एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन स्कीम के तहत दिए जाने वाला 4-9-14 का मानदेय भी छीन लिया गया है।
प्रदेशभर में अनुबंध पर नियुक्त कर्मचारियों और अधिकारियों को 150% मानदेय प्रदान किया गया। वही प्रदेश भर में कुछ चिकित्सकों को यह देय प्रदान नहीं किया गया। यह देय राशि मंडी,कांगड़ा उन्ना, सिरमौर जिला के कुछ चिकित्सकों को नहीं दी गई। एक ही साथ नियुक्त चिकित्सकों को अलग-अलग वेतन देना एक विडंबना का विषय है। इस त्रुटि से संघ ने पहले भी स्वास्थ्य सचिव एवं मुख्य स्वास्थ्य सचिव को अवगत कराया था। अभी तक लेकिन अभी तक इस संदर्भ में कोई ठोस निर्णय सामने नहीं आया है। मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन का अनुरोध है कि इस त्रुटि का शीघ्र निवारण किया जाए।
संघ ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में अन्य विभागों से नियुक्तियां किया जाने पर रोष प्रकट किया। इन लोगों को मेडिकल के संबंधित प्रयाप्त जानकारी नहीं होती है जिसका खामियाजा जनता को झेलना पड़ता है। सरकार को समयबद्ध तरीके से प्रमोशन करे और डीपीसी के तहत रिक्त चल रहे पदों को भरे तो फील्ड में कार्य कर रहे चिकित्सकों का भार कम होगा और वह अपनी सेवाएं जनता को उपलब्ध करवाने में अधिक कारगर सिद्ध होंगे। जिन चिकित्सा अधिकारियों ने विभागीय परीक्षा उत्तीर्ण की है और ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर या डीडीओ रह चुके हों,उन्हें मेडिकल कॉलेजों में जॉइंट डायरेक्टर के पद पर नियुक्त किया जाना न्याय संगत होगा। ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर और उससे ऊपर के पद अधिकारी जिन्होंने फाइनेंशियल एडमिनिस्ट्रेशन की परीक्षा उत्तीर्ण की हुई होती है साथ ही 25 साल का एक अनुभव भी होता है वो इन पदों पर कार्य करने में सुयोग्य एवं अधिक कारगर सिद्ध होंगे।
प्रदेश भर में प्रतिवर्ष 800 से अधिक चकित्सक बन रहे हैं तो अन्य विभागों से स्वास्थ्य विभाग में नियुक्तियां शीघ्र रद्द की जानी चाहिए। स्वास्थ ववस्था को यदि और अधिक सुदृढ़ बनाना हो तो स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में चिकित्सक ही नियुक्त हों तो यह सबसे बेहतर होगा। इस कड़ी में ऐड्स कंट्रोल सोसायटी में एडिशनल डायरेक्टर को प्रोजेक्ट डायरेक्टर का कार्यभार सौंपना और स्वास्थ्य निर्देशक को को भार मुक्त करना भी संघ को मंजूर नहीं है।समय-समय पर डीपीसी न कर पाने के कारण ऊपर के पद खाली रहते हैं और कार्य भार फील्ड में कार्य कर रहे चिकित्सकों पर बढ़ता है ।




