शिकायत: दृष्टिबाधित विद्यार्थियों को परीक्षा में राइटर उपलब्ध कराने के लिए कानून के मुताबिक कोई पैनल नहीं बनाया
। उमंग फाउंडेशन ने दृष्टिबाधित विद्यार्थियों के उत्पीड़न के उत्पीड़न को लेकर राजकीय महाविद्यालय कुल्लू के प्रिंसिपल के खिलाफ राज्य विकलांगता आयुक्त से शिकायत की है। मांग की गई है कि मामले की जांच कराई जाए और प्रिंसिपल के विरुद्ध कार्यवाही की जाए।
हिमाचल प्रदेश राज्य विकलांगता सलाहकार बोर्ड के अध्यक्ष और उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव ने राज्य विकलांगता आयुक्त एवं अतिरिक्त मुख्य सचिव (सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग) संजय गुप्ता को भेजी शिकायत में कहा है कुल्लू कॉलेज के प्रिंसिपल ने दृष्टिबाधित विद्यार्थियों को परीक्षा में राइटर उपलब्ध कराने के लिए कानून के मुताबिक कोई पैनल नहीं बनाया है।
कुल्लू कॉलेज के प्रिंसिपल दृष्टिबाधित विद्यार्थियों को परीक्षा में राइटर उपलब्ध नहीं कराते हैं। साथ ही उन पर मनमानी शर्तें थोपते हैं कि राइटर खुद ढूंढ कर लाओ, उसके विषय परीक्षार्थी के समान नहीं होने चाहिए और वह एक क्लास जूनियर होना चाहिए। यही नहीं वह अलग अलग परीक्षा में राइटर बदलने की छूट भी नहीं दे रहे।
प्रो. अजय श्रीवास्तव हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के विकलांगता मामलों के नोडल अधिकारी भी हैं। उन्होंने कहा कि प्रिंसिपल का यह फरमान केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय, यूजीसी, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, हाईकोर्ट , राज्य के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के स्पष्ट दिशा निर्देशों का खुला उल्लंघन है।
उन्होंने कहा कि राइटर उपलब्ध कराना शिक्षण संस्थान का दायित्व है। ऐसा न करने पर यदि राइटर विद्यार्थी को स्वयं लाना पड़ता है तो वहां किसी भी शैक्षणिक योग्यता का हो सकता है। आवश्यकता के अनुसार राइटर बदलने की छूट भी विद्यार्थी को दी जाती है। प्रदेश विश्वविद्यालय द्वारा हाल ही में घोषित की गई विकलांगता नीति में भी यही नियम है जिसको मानने के लिए सभी कॉलेज बाध्य हैं।
उन्होंने शिकायत में कहा कि जब विद्यार्थियों ने प्रिंसिपल को प्रदेश विश्वविद्यालय की नोटिफिकेशन दिखाई तो उन्होंने उसे मानने से इनकार कर दिया। प्रो. अजय श्रीवास्तव ने मांग की है कि कुल्लू कॉलेज के प्रिंसिपल के खिलाफ जांच करके विकलांगजन अधिकार कानून, 2016 के अंतर्गत कार्रवाई की जाए। इसके अलावा सभी शिक्षण संस्थानों को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग नए दिशा नर्देश जारी करें ताकि दिव्यांगजनों से संबंधित कानून और नियम सख्ती से लागू कराए जा सकें।